AIN NEWS 1: गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र के शिव मंदिर टीला कोठी में आज एक महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें ‘मूत्र और थूक जिहाद’ पर चर्चा की गई। इस महापंचायत में लगभग एक हजार लोगों के जुटने की संभावना थी, जिसके लिए पुलिस और खुफिया विभाग ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए।
महापंचायत की प्रमुख बातें
महापंचायत में प्रमुखता से साध्वी प्राची, स्वामी दीपांकर और स्थानीय भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर सहित कई अन्य नेता शामिल हुए। स्वामी यशवीर महाराज, जिन्होंने कांवड़ यात्रा में ‘नेमप्लेट’ लगाने के मुद्दे को उठाया था, भी उपस्थित रहे। इस सभा में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के निर्णय का समर्थन किया गया। उपस्थित लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह निर्णय बिल्कुल सही था।
मिलावट की समस्या और सख्त कार्रवाई की मांग
महापंचायत में उपस्थित लोगों ने खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए। इस संदर्भ में, स्थानीय विधायक ने भी मुस्लिम जूस विक्रेताओं को लाइसेंस न होने पर अपनी दुकानों को बंद करने के लिए कहा।
विवाद का संदर्भ
यह महापंचायत दरअसल, पिछले 10 दिनों में एक विवाद के कारण आयोजित की गई है। 13 सितंबर को, लोनी बॉर्डर थाना क्षेत्र में ‘खुशी जूस एंड शेक’ नामक एक दुकान पर कुछ ग्राहकों ने आरोप लगाया कि दुकान संचालक आमिर जूस में यूरिन मिलाकर बेच रहा था। इसके बाद, हंगामा हुआ और स्थानीय लोगों ने आमिर की पिटाई कर दी। पुलिस ने दुकान की तलाशी ली और वहां से एक प्लास्टिक कैन में पीले रंग का द्रव्य पदार्थ बरामद किया। पुलिस की प्रारंभिक जांच में इसे यूरिन बताया गया, हालाँकि लैब से अंतिम रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।
सुरक्षा प्रबंध
महापंचायत के आयोजन को लेकर पुलिस ने पर्याप्त बल और पीएसी तैनात की है। अपर पुलिस आयुक्त भास्कर वर्मा ने बताया कि कार्यक्रम स्थल पर निगरानी के लिए वीडियोग्राफी और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
निष्कर्ष
महापंचायत में उठाए गए मुद्दों ने क्षेत्र में धार्मिक और सामाजिक तनाव को बढ़ाया है। स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, यह देखा जाएगा कि प्रशासन इस स्थिति को कैसे संभालता है और मिलावट के खिलाफ सख्त कार्रवाई कैसे की जाती है।
गाजियाबाद में इस प्रकार की घटनाएं और महापंचायतें यह संकेत देती हैं कि स्थानीय समुदाय में किस प्रकार की चिंताएँ और आक्रोश मौजूद हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह इस स्थिति को संभालने के लिए प्रभावी कदम उठाए ताकि समाज में शांति और सद्भाव बना रहे।