राष्ट्रपति बोलीं- पेंडिंग केस ज्यूडिशियरी के लिए बड़ा चैलेंज, रेप जैसे मामलों में भी तत्काल न्याय नहीं मिलता
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायपालिका के सामने लंबित मामलों और बैकलॉग को एक बड़ा चुनौती बताया है। उन्होंने चिंता जताई कि रेप जैसे गंभीर मामलों में भी समय पर न्याय नहीं मिल पाता, जिससे आम लोगों में न्याय प्रक्रिया के प्रति संवेदनशीलता की कमी का अहसास होता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने ये बातें नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी के समापन समारोह में कहीं।
पेंडिंग केस: न्यायपालिका के लिए बड़ी चुनौती
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि न्यायपालिका के लिए लंबित मामलों का बढ़ता हुआ बोझ एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जब रेप जैसे गंभीर मामलों में कोर्ट का फैसला आने में पीढ़ियां बीत जाती हैं, तो आम आदमी यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि न्याय की प्रक्रिया में संवेदनशीलता की कमी हो गई है।
न्याय की रक्षा: सभी जजों की जिम्मेदारी
राष्ट्रपति ने सभी जजों को न्याय की रक्षा की जिम्मेदारी को गंभीरता से लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की सुनवाई को टालने की प्रवृत्ति को खत्म करना जरूरी है। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए ताकि समय पर न्याय मिल सके।
‘ब्लैक कोट सिंड्रोम’ पर अध्ययन की जरूरत
राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि जब आम आदमी कोर्टरूम में आता है तो उसका तनाव स्तर बढ़ जाता है। उन्होंने इस स्थिति को ‘ब्लैक कोट सिंड्रोम’ का नाम दिया और सुझाव दिया कि इस पर एक अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि इसे समझा जा सके और इसका समाधान निकाला जा सके।
राष्ट्रपति के इन विचारों ने न्यायपालिका की वर्तमान स्थिति पर गंभीर चिंताओं को उजागर किया और इसमें सुधार के लिए कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
शिवाजी मूर्ति विवाद: MVA का प्रदर्शन और राजनीतिक बयानबाजी
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के विरोध में महाविकास अघाड़ी (MVA) ने रविवार को मुंबई में जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी, और कांग्रेस के प्रमुख नेता शामिल हुए, जिनमें उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, शरद पवार, सुप्रिया सुले और नाना पटोले प्रमुख थे। MVA ने साउथ मुंबई के हुतात्मा चौक से गेटवे ऑफ इंडिया तक पैदल मार्च निकाला, जो कि शिवाजी मूर्ति के गिरने के खिलाफ था।
उद्धव ठाकरे का आक्रामक रुख
प्रदर्शन के दौरान उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, और अजित पवार के पोस्टरों पर चप्पल मारकर अपना विरोध जताया। उद्धव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माफी अहंकार से भरी हुई थी।
शरद पवार ने भी इस मौके पर बोलते हुए कहा कि मूर्ति का गिरना सरकारी भ्रष्टाचार का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह घटना सरकार की नाकामी को उजागर करती है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
CM शिंदे की प्रतिक्रिया
इस प्रदर्शन का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है और जनता सब देख रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले चुनावों में महाराष्ट्र की जनता इन्हें जूतों से पीटेगी।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद तब शुरू हुआ जब 26 अगस्त को सिंधुदुर्ग में शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा गिर गई थी। यह प्रतिमा पिछले साल 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण की गई थी। मूर्ति के गिरने के बाद, विपक्ष ने सरकार की कड़ी आलोचना की और इसे प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा बताया। 27 अगस्त को पालघर में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने शिवाजी महाराज के सामने नतमस्तक होकर माफी मांगी और कहा कि उनके लिए छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ एक महाराजा नहीं, बल्कि पूजनीय हैं।
इस घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जहां एक तरफ विपक्ष सरकार को घेर रहा है, तो दूसरी तरफ सत्ताधारी दल अपने बचाव में खड़ा है।
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की पहली झलक: रेल मंत्री का ऐलान
केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार, 1 सितंबर को वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के पहले मॉडल की झलक पेश की। उन्होंने बेंगलुरु स्थित भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) की फैक्ट्री का दौरा किया, जहां इस ट्रेन का निर्माण हो रहा है। मंत्री ने बताया कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन अगले तीन महीने में, यानी दिसंबर तक लॉन्च कर दी जाएगी। इसके कोचों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की विशेषताएं
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन में कुल 16 कोच होंगे, जिनमें 11 थर्ड एसी, 4 सेकेंड एसी, और एक फर्स्ट एसी कोच शामिल हैं। यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन की गई है। इस ट्रेन को 800 से 1200 किलोमीटर की दूरी के लिए तैयार किया गया है। रेल मंत्री ने बताया कि इसका किराया राजधानी एक्सप्रेस के किराए के बराबर होगा, जिससे यात्रियों को सुविधा और किफायत दोनों मिलेगी।
दुनिया की बेहतरीन ट्रेनों में होगी गिनती
रेल मंत्री ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को दुनिया की बेहतरीन ट्रेनों में शामिल करने का दावा किया। उन्होंने बताया कि इस ट्रेन में कपलर मैकेनिज्म की नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिससे ट्रेन का वज़न कम होता है और स्ट्रेंथ बढ़ती है। कपलर, जो दो कोचों को जोड़ने का काम करता है, ऑस्टेनिटिक स्टील से बना होता है। इसके अलावा, ट्रेन के व्हील और ट्रैक के बीच का मैकेनिकल हिस्सा विशेष तरीके से डिजाइन किया गया है, जिससे ट्रेन के अंदर वाइब्रेशन और आवाज़ में कमी आएगी।
यह नई ट्रेन भारतीय रेलवे के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, जो यात्रियों को बेहतर सुविधा, अधिक सुरक्षा और तेज़ यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी।
कोलकाता रेप-मर्डर केस: आरोपी संजय रॉय का नया दावा
कोलकाता में 8-9 अगस्त की रात हुए रेप-मर्डर केस में आरोपी संजय रॉय ने ट्रेनी डॉक्टर की मौत को लेकर नया दावा किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, संजय ने पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान CBI को बताया कि वह गलती से सेमिनार रूम में घुसा था। उसके मुताबिक, एक मरीज की हालत खराब थी और उसे ऑक्सीजन की जरूरत थी। इसी कारण वह डॉक्टर को ढूंढते हुए थर्ड फ्लोर पर स्थित सेमिनार रूम में पहुंच गया।
सेमिनार रूम में मिली ट्रेनी डॉक्टर की बॉडी
संजय ने बताया कि जब वह सेमिनार रूम में पहुंचा, तो वहां ट्रेनी डॉक्टर की बॉडी पड़ी हुई थी। उसने शरीर को हिलाने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इससे वह घबरा गया और तुरंत बाहर भाग गया।
CBI की जांच और पॉलीग्राफ टेस्ट
CBI ने इस मामले में अब तक 10 लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट किया है, जिनमें संजय रॉय भी शामिल है। यह घटना आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई थी, जहां 31 साल की एक ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की बॉडी बरामद की गई, जिसके बाद इस जघन्य अपराध के खिलाफ देशभर के डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया था। सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद कई अस्पतालों में हड़ताल रद्द कर दी गई, लेकिन बंगाल में अब भी प्रदर्शन जारी है।
इस मामले की जांच अब CBI द्वारा की जा रही है, और संजय रॉय का यह नया दावा मामले में एक नया मोड़ ला सकता है। हालांकि, पुलिस और CBI द्वारा आगे की जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट जज का बयान: ‘भीड़ तंत्र’ से न्यायपालिका की भूमिका खतरे में
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओका ने रविवार को समाज में बढ़ते ‘भीड़ तंत्र’ पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जब कोई हादसा होता है, तो राजनीतिक नेता इसका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं और जनता से वादा करते हैं कि आरोपी को फांसी की सजा दिलाई जाएगी। जस्टिस ओका ने स्पष्ट किया कि सजा का फैसला करना नेताओं का काम नहीं है, बल्कि यह अधिकार केवल न्यायपालिका के पास है।
भीड़ तंत्र का खतरा
जस्टिस ओका ने कहा कि समाज में ऐसी प्रवृत्ति पैदा हो रही है, जहां भीड़ तंत्र (मॉब रूल) न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने आगाह किया कि इस तरह के रवैये से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
ममता बनर्जी की टिप्पणी का संदर्भ
हालांकि जस्टिस ओका ने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी यह टिप्पणी उस समय आई है जब हाल ही में कोलकाता में हुए रेप-मर्डर और महाराष्ट्र के बदलापुर में दो स्कूली छात्राओं के यौन शोषण के मामलों के बाद अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग जोर पकड़ रही है। इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि वे रेप कानूनों में बदलाव करेंगी, ताकि अपराधियों को सख्त सजा मिल सके।
न्यायपालिका का काम: न्याय देना
जस्टिस ओका ने जोर देकर कहा कि न्याय प्रदान करना और सजा का निर्धारण करना न्यायपालिका का काम है, न कि भीड़ या नेताओं का। उनका यह बयान समाज और नेताओं को न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप से दूर रहने की नसीहत देता है, ताकि न्याय का सही तरीके से पालन हो सके।
अगस्त में GST कलेक्शन ₹1.75 लाख करोड़: FY2024-25 का तीसरा बड़ा कलेक्शन
अगस्त 2024 में सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से 1,74,962 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाया है, जो लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपए है। यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 10% अधिक है, जब अगस्त 2023 में 1,59,069 करोड़ रुपए का GST कलेक्शन हुआ था। यह कलेक्शन अब तक के किसी भी महीने में जुटाया गया चौथा सबसे बड़ा GST कलेक्शन है, और वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह तीसरा सबसे बड़ा कलेक्शन है।
GST: 2017 में लागू हुआ था
GST एक इनडायरेक्ट टैक्स है, जिसे 2017 में भारत में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के पूर्ववर्ती इनडायरेक्ट टैक्स जैसे वैट, सर्विस टैक्स, परचेज टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, और अन्य इनडायरेक्ट टैक्सों को एक ही टैक्स के तहत लाना था। GST के तहत 5%, 12%, 18%, और 28% के चार टैक्स स्लैब्स बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगाया जाता है।
यह कलेक्शन सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जो देश की आर्थिक गतिविधियों में तेजी और टैक्स कंप्लायंस में सुधार को दर्शाता है।