AIN NEWS 1: नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो माँ दुर्गा की उपासना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति, समर्पण और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में विधि-विधान से पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। आइए, जानते हैं नवरात्रि की पूजा विधि और उसके नियम।
नवरात्रि पूजा विधि
1. कलश स्थापनाः
प्रक्रिया: पहले दिन प्रात: स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें। एक कलश लें और उसमें जल भरें। उसमें आम या अशोक के पत्ते रखें और उसके ऊपर एक नारियल रखें। इसे माँ दुर्गा का प्रतीक मानकर पूजन करें।
2. माता की प्रतिमा या चित्र की स्थापनाः
प्रक्रिया: माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थान पर रखें। इसे लाल या पीले कपड़े से सजाएं। इससे पूजा का वातावरण भक्ति से भर जाएगा।
3. दीप प्रज्वलनः
प्रक्रिया: एक अखंड ज्योति जलाएं, जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहेगी। यह दीप ज्ञान, प्रकाश और समृद्धि का प्रतीक है।
4. मंत्र जाप और पाठः
प्रक्रिया: दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें। इसके साथ ही, ‘ॐ दुर्गायै नमः’, ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ जैसे मंत्रों का जाप करें। यह मानसिक शांति और ध्यान में सहायता करता है।
5. नैवेद्य और भोगः
प्रक्रिया: प्रतिदिन माँ को भोग अर्पित करें। इसमें फल, मिठाई, नारियल और फूल शामिल करें। विशेष रूप से गाय के दूध, शहद और घी का भोग लगाना उत्तम माना जाता है।
6. कन्या पूजनः
प्रक्रिया: नवरात्रि के आठवें या नौवें दिन कन्या पूजन का आयोजन करें। इसमें नौ कन्याओं को भोजन करवाया जाता है और उन्हें उपहार दिए जाते हैं। यह पूजा माँ दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होती है।
नवरात्रि के व्रत के नियम
सत्य और निष्ठा: नवरात्रि के दौरान सच्चे मन से पूजा करें और व्रत का पालन करें।
सात्विक आहार: व्रत के दिनों में केवल सात्विक भोजन करें, जैसे फल, दूध, और साबुदाना। मांसाहार और शराब का सेवन न करें।
ध्यान और साधना: पूजा के समय मन को एकाग्र करें और ध्यान लगाएं। नवरात्रि में नियमित रूप से प्रार्थना और साधना करें।
सामाजिक व्यवहार: इस दौरान एक-दूसरे के प्रति सद्भावना रखें और दान-पुण्य करें।
नवरात्रि एक ऐसा पर्व है, जो हमें माँ दुर्गा की कृपा और शक्ति का अनुभव कराता है। सही विधि और नियमों के पालन से न केवल आध्यात्मिक उत्थान होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता भी आती है। इस नवरात्रि, माँ दुर्गा की आराधना करके अपनी आत्मा को शुद्ध करें और जीवन में खुशियों का संचार करें।