AIN NEWS 1 नई दिल्ली: मोदी सरकार ने “One Nation, One Election” (एक देश, एक चुनाव) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब है कि अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस निर्णय का आधार पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट है, जो हाल ही में प्रस्तुत की गई थी।
प्रस्ताव का महत्व
“एक देश, एक चुनाव” का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाना और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना है। इस प्रणाली से चुनावी खर्चों में कमी आएगी और राजनीतिक गतिविधियों का समयबद्ध संचालन संभव होगा। इससे मतदाता भी एक साथ चुनावी मुद्दों पर सोच-समझकर मतदान कर सकेंगे।
अमित शाह का संकेत
इस प्रस्ताव की मंजूरी से पहले, गृह मंत्री अमित शाह ने भी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर इस दिशा में संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि यह कदम देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा और चुनावों के आयोजन में लगने वाले समय को बचाएगा।
संसद में पेश होगा बिल
इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए शीतकालीन सत्र में एनडीए सरकार इसे संसद में पेश करेगी। इसके जरिए सरकार उम्मीद कर रही है कि विभिन्न राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त होगा, जिससे इस महत्वपूर्ण सुधार को जल्द से जल्द लागू किया जा सके।
समिति की रिपोर्ट
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया, जिसमें चुनावों की तिथियों का निर्धारण, मतदाता सूची की एकरूपता और राज्यों के चुनावी कार्यक्रम शामिल थे। समिति ने सुझाव दिया कि यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो इससे प्रशासनिक और वित्तीय बोझ में कमी आएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस प्रस्ताव पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। कुछ दल इसे सकारात्मक कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ मानते हैं। इसके बावजूद, सरकार का जोर है कि इस प्रस्ताव से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता आएगी।
निष्कर्ष
“One Nation, One Election” की दिशा में उठाया गया यह कदम चुनावी सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल चुनावी प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि देश में राजनीतिक स्थिरता भी बढ़ेगी। सभी की नजर अब शीतकालीन सत्र पर होगी, जहां इस प्रस्ताव को विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा।
इस तरह, “एक देश, एक चुनाव” की दिशा में कदम उठाते हुए, सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जो भारतीय लोकतंत्र को और भी मजबूत बनाएगा।