Friday, October 11, 2024

बेंगलुरु में ‘शर्मा’ बनकर रह रहे पाकिस्तानी परिवार का भंडाफोड़?

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AIN NEWS 1: रविवार को बेंगलुरु में पुलिस ने एक पाकिस्तानी परिवार को गिरफ्तार किया, जो पिछले छह साल से भारत में ‘शर्मा’ के नाम से रह रहा था। यह परिवार, जो खुद को सिद्दीकी बताता है, 2018 से यहां निवास कर रहा था। गिरफ्तार किए गए सदस्यों में राशिद अली सिद्दीकी (48), उनकी पत्नी आएशा (38) और उनके माता-पिता हनीफ मोहम्मद (78) और रुबीना (61) शामिल हैं।

पैकिंग के दौरान गिरफ्तारी

पुलिस को जब परिवार के बारे में खुफिया जानकारी मिली, तो वे गिरफ्तारी के लिए पहुंचे। इस समय सिद्दीकी परिवार अपनी belongings पैक कर रहा था, जो उनके भागने की योजना का संकेत था। पूछताछ के दौरान सिद्दीकी ने अपने आप को शर्मा बताया और कहा कि वे 2018 से बेंगलुरु में हैं। पुलिस ने परिवार के भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड देखे, जिसमें उनकी हिंदू पहचान दर्ज थी।

संदिग्ध गतिविधियाँ और दीवार पर मौलवियों की तस्वीरें

पुलिस ने जब परिवार के घर की तलाशी ली, तो उन्हें दीवार पर मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल के कार्यक्रमों की तस्वीरें मिलीं, साथ ही कुछ मौलवियों की भी तस्वीरें थीं। यह परिवार शंकर शर्मा, आशा रानी, रामबाबू शर्मा और रानी शर्मा के नाम से रह रहा था।

कबूलनामा और पाकिस्तान से भारत का सफर

पूछताछ में सिद्दीकी ने स्वीकार किया कि वह पाकिस्तान के लियाकताबाद से है, जबकि उसकी पत्नी का परिवार लाहौर से है। सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने 2011 में बांग्लादेश में एक ऑनलाइन समारोह के दौरान आएशा से शादी की थी। पाकिस्तान में उत्पीड़न के बाद उन्हें बांग्लादेश में शिफ्ट होना पड़ा।

भारत में प्रवेश की प्रक्रिया

एफआईआर में उल्लेखित है कि सिद्दीकी बांग्लादेश में उपदेशक था। 2014 में, वह बांग्लादेश में भी निशाना बनने लगा। इसके बाद उसने भारत में अवैध रूप से शिफ्ट होने का निर्णय लिया। सिद्दीकी और उसका परिवार पश्चिम बंगाल के मालदा के जरिए भारत में प्रवेश किया, जहां कुछ एजेंट्स ने उनकी मदद की।

दिल्ली में प्रवास और बेंगलुरु की ओर रुख

रिपोर्ट के अनुसार, परिवार ने पहले दिल्ली में निवास किया और यहां डुप्लीकेट आधार कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस हासिल किए। 2018 में, नेपाल यात्रा के दौरान सिद्दीकी की मुलाकात बेंगलुरु के रहने वाले वाशिम और अल्ताफ से हुई। इसके बाद परिवार ने बेंगलुरु शिफ्ट होने का निर्णय लिया।

अल्ताफ ने किराए का ध्यान रखा और मेहदी फाउंडेशन के कार्यक्रमों के लिए पैसे दिए। सिद्दीकी गैरेज में ऑइल सप्लाई करने का काम करता था और खाने की चीजें बेचता था।

निष्कर्ष

यह मामला न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग अवैध रूप से देश में प्रवेश कर सकते हैं और अपने असली पहचान को छिपाकर रह सकते हैं। पुलिस अब इस मामले की गहनता से जांच कर रही है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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