Monday, October 7, 2024

“पवन कल्याण ने हिंदू मंदिरों के अपमान पर उठाई आवाज, शुरू की 11 दिवसीय तपस्या”?

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AIN NEWS 1 गुंटूर: आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने हिंदू मंदिरों के अपमान के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। पवन कल्याण ने कहा, “मैं इस 11 दिवसीय तपस्या अनुष्ठान को शुरू करते हुए भगवान वेंकटेश्वर से माफी मांगता हूं। हमें तब तक चुप नहीं रहना चाहिए जब तक हिंदू मंदिरों का अपमान किया जाता है। अगर ऐसा मस्जिदों या चर्चों के साथ होता, तो पूरे देश में हंगामा मच जाता।”

पवन कल्याण ने इस तपस्या का आयोजन उन घटनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किया है, जहां हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू समुदाय को एकजुट होकर इस मुद्दे के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। उनका मानना है कि धार्मिक स्थलों के अपमान पर केवल धार्मिक भावनाओं की रक्षा की जानी चाहिए, बल्कि समाज में समरसता बनाए रखने की दिशा में भी यह आवश्यक है।

इस तपस्या के दौरान, पवन कल्याण ने अपने अनुयायियों से अपील की कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और समाज में धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए, लेकिन किसी एक धर्म के स्थलों के प्रति अपमान सहन नहीं किया जाना चाहिए।

पवन कल्याण ने कहा कि यह केवल हिंदू मंदिरों का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के नैतिक मूल्यों का भी सवाल है। उन्होंने राजनीतिक नेताओं और समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाएं और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।

उनकी यह अपील उस समय आई है जब हाल ही में कुछ मंदिरों में अपमानजनक घटनाएँ हुई हैं। पवन कल्याण का कहना है कि जब भी किसी धार्मिक स्थल का अपमान होता है, तो उस पर जनमानस की प्रतिक्रिया होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति में हर धर्म का सम्मान किया गया है। हमें इसे बनाए रखना चाहिए और किसी भी धार्मिक स्थल का अपमान सहन नहीं करना चाहिए।”

पवन कल्याण की इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि वह न केवल धार्मिक अपमान के खिलाफ हैं, बल्कि वह एक व्यापक सामाजिक समरसता की दिशा में भी काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए समाज को एकजुट होकर आगे आना होगा।

इस प्रकार, पवन कल्याण की 11 दिवसीय तपस्या केवल एक व्यक्तिगत अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक सशक्त संदेश है जो सभी को धर्म, संस्कृति और समाज के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। उनके इस कदम से समाज में एक नई चेतना का संचार होगा और सभी धर्मों के प्रति सम्मान बढ़ेगा।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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