AIN NEWS 1: गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे जालसाज को गिरफ्तार किया है, जो खुद को 1979 बैच का मणिपुर कैडर का आईपीएस अधिकारी बताकर अधिकारियों पर दबाव डालता था और सरकारी काम में दखल देता था। गिरफ्तार व्यक्ति का नाम अनिल कात्याल (68 वर्ष) है। अनिल दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज के ग्रेजुएट हैं और विदेश से पीएचडी भी कर चुके हैं। उनके पिता एक आईआरएस अधिकारी थे, और अनिल खुद कई बड़ी कंपनियों में उच्च पदों पर काम कर चुके हैं। लेकिन अब वे धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के आरोपों में पुलिस की हिरासत में हैं।
कैसे पकड़ा गया जालसाज?
कुछ दिन पहले अनिल कात्याल ने गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा से मुलाकात की। उन्होंने खुद को आईपीएस अधिकारी बताते हुए कहा कि वे सीबीआई, आईबी और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कमिश्नर से एक मामले में पैरवी भी की। कमिश्नर ने पूरे सम्मान के साथ उनकी बात सुनी और उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई।
हालांकि, अनिल के जाने के बाद कमिश्नर को शक हुआ। जांच में पता चला कि 1979 बैच के मणिपुर कैडर में “अनिल कात्याल” नाम का कोई अधिकारी नहीं है। गहराई से छानबीन करने पर इस जालसाज का असली चेहरा सामने आया।
कैसे करता था फर्जीवाड़ा?
अनिल कात्याल पिछले कई सालों से यूपी, दिल्ली, और हरियाणा समेत कई राज्यों में खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर लोगों को धोखा दे रहा था।
फर्जी पहचान का इस्तेमाल: वह अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए खुद को उच्च पदों पर कार्यरत बताता था।
संपर्कों का गलत इस्तेमाल: अनिल के मोबाइल में सैकड़ों आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नंबर मिले हैं। वह उन्हें फोन और मैसेज करके फर्जी मामलों में मदद करता था।
बड़े अधिकारियों को बुलाना: फर्जी पहचान के जरिए वह बड़े अधिकारियों को अपने घर पर लंच और डिनर पर बुलाता था।
मंत्रालयों में पहुंच: गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से जुड़े मामलों में दखल देने की कोशिश करता था।
कई जगहों पर फैला फर्जीवाड़ा
अनिल का फर्जीवाड़ा सिर्फ गाजियाबाद तक सीमित नहीं था। पुलिस को शक है कि उसने देश के अन्य हिस्सों में भी कई लोगों को धोखा दिया है। उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसका मोबाइल जब्त किया, जिसमें कई अहम जानकारी और मैसेज मिले हैं।
आगे की जांच जारी
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अनिल ने और किन-किन लोगों को ठगा है और उसने कितने मामलों में फर्जीवाड़ा किया है। यह भी जांच की जा रही है कि वह फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर सरकारी अधिकारियों से कौन-कौन से काम करवाने की कोशिश करता था।
गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि अनिल के कारनामों की गहराई से जांच जारी है, और जल्द ही उसके खिलाफ अन्य ठोस सबूत इकट्ठा किए जाएंगे।