AIN NEWS 1: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को हाल ही में एक अज्ञात नंबर से धमकी मिली है। धमकी देने वाले ने कहा है कि अगर टिकैत पंचायत में शामिल हुए तो वे तेजाब डालकर उनका चेहरा बिगाड़ देंगे। यह घटना 19 सितंबर की रात लगभग नौ बजे हुई। धमकी देने वाला व्यक्ति स्वयं को खेकड़ा क्षेत्र के सुन्हैड़ा गांव का निवासी बताता है।
भाकियू के जिला प्रवक्ता हिम्मत सिंह ने इस मामले में एसपी को एक शिकायती पत्र दिया है, जिसमें उन्होंने धमकी देने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। हिम्मत सिंह ने बताया कि कॉल करने वाले ने न केवल राकेश टिकैत को जान से मारने की धमकी दी, बल्कि अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए एक विशेष जाति को टारगेट किया।
इस धमकी के पीछे की गंभीरता को देखते हुए, भाकियू के नेता यह आशंका जता रहे हैं कि आरोपी पंचायत या किसी अन्य कार्यक्रम में राकेश टिकैत पर हमला कर सकता है। हिम्मत सिंह ने बताया कि इसी नंबर से पहले भी राकेश टिकैत को धमकियाँ मिल चुकी हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि यह एक संगठित प्रयास हो सकता है।
हिम्मत सिंह ने अपने समर्थकों के साथ एसपी से मुलाकात की और मामले की गंभीरता को बताया। उन्होंने कहा कि यदि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, तो भाकियू आंदोलन करने पर मजबूर होगी। एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि शिकायती पत्र की जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि आरोपी का पता लगाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस घटनाक्रम ने किसान समुदाय में चिंता पैदा कर दी है, खासकर जब से राकेश टिकैत हाल के दिनों में किसानों के अधिकारों के लिए मुखर हो रहे हैं। भाकियू का कहना है कि यह धमकी एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकती है, जिसका उद्देश्य राकेश टिकैत के आंदोलन को कमजोर करना है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने इस मामले पर अभी तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। किसान संगठन ने अपने सदस्यों से अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और किसी भी तरह की धमकी का सामना करने के लिए तैयार रहें।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसान आंदोलन में सक्रिय नेताओं को खतरे का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले भी कई नेताओं को ऐसे हमलों का सामना करना पड़ा है। इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता है ताकि ऐसे धमकियों को रोका जा सके और किसान नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।