AIN NEWS 1 | 1 अक्टूबर को वाराणसी में सनातन रक्षक दल ने 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटा दीं। दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा का कहना है कि सनातन मंदिरों में केवल सनातन धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां होनी चाहिए। इसके पीछे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के अभियान का समर्थन है, जिन्होंने साईं बाबा की पूजा का विरोध किया था।
मूर्तियों का विसर्जन और हटाने का अभियान
- साईं बाबा की मूर्तियों को गंगा में विसर्जित किया गया और कुछ मूर्तियों को उनके मंदिरों में पहुंचाया जा रहा है।
- सनातन रक्षक दल ने 100 और मंदिरों की लिस्ट बनाई है, जिनसे साईं बाबा की मूर्तियां हटाने की योजना है।
- बड़ा गणेश मंदिर से साईं बाबा की मूर्ति हटाई गई और इसे गंगा में विसर्जित कर दिया गया। इसके अलावा पुरुषोत्तम मंदिर सहित अन्य 14 मंदिरों से भी मूर्तियां हटाई जा चुकी हैं।
समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के नेता आशुतोष सिन्हा ने इस अभियान की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि वाराणसी की असली समस्याएं सीवर, पानी और गंगा का प्रदूषण हैं, जिन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने इसे धार्मिक माहौल को खराब करने की कोशिश बताया।
पुजारियों और शास्त्रों की राय
- बड़ा गणेश मंदिर के महंत रम्मू गुरु का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार साईं बाबा की पूजा वर्जित है। जानकारी के अभाव में साईं की पूजा हो रही थी, जिसे अब रोक दिया गया है।
- अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने भी कहा कि शास्त्रों में साईं बाबा की पूजा का कोई उल्लेख नहीं है, इसलिए मूर्तियां हटाई जा रही हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
- स्थानीय निवासियों का कहना है कि मूर्तियों को हटाना सही या गलत हो सकता है, लेकिन उन्हें सम्मान के साथ हटाया जाना चाहिए था।
- कुछ लोगों ने मूर्तियों को हटाने के तरीके पर नाराजगी जताई, खासकर गलियों में मूर्तियों के टुकड़े फेंकने पर।
यह घटना वाराणसी में धार्मिक विवाद का नया मुद्दा बन गई है, जहां साईं बाबा की पूजा को लेकर लोगों के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं।