AIN NEWS 1: श्रावण मास हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाँचवा महीना होता है, जो ईस्वी कैलेंडर के जुलाई या अगस्त में आता है। इस वर्ष, श्रावण मास 22 जुलाई से 19 अगस्त तक रहेगा। यह माह वर्षा ऋतु या ‘पावस ऋतु’ के अंतर्गत आता है, जब अत्यधिक वर्षा होती है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे ‘हरियाली तीज’, ‘रक्षाबंधन’, और ‘नागपंचमी’। ‘श्रावण पूर्णिमा’ को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है: दक्षिण भारत में ‘नारियली पूर्णिमा’, मध्य भारत में ‘कजरी पूनम’, उत्तर भारत में ‘रक्षाबंधन’, और गुजरात में ‘पवित्रोपना’।
सावन का महत्व और पौराणिक कथाएँ
सावन मास भगवान शिव के लिए विशेष महत्व रखता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती ने भगवान शिव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। देवी सती के पुनर्जन्म के रूप में पार्वती ने सावन महीने में कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसी कारण सावन माह भगवान शिव के लिए प्रिय हो गया।
एक अन्य कथा के अनुसार, मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकंडेय ने लंबी आयु के लिए सावन में तपस्या की और शिव की कृपा प्राप्त की। सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आए थे और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक से किया गया। इसी कारण से सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है।
शिव की पूजा और सावन के व्रत
सावन माह में भगवान शिव की पूजा के विशेष विधि-विधान होते हैं। इस दौरान ‘रुद्राभिषेक’ का अत्यधिक महत्व है। रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर, गंगाजल, और गन्ने के रस से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है। पूजा के अंत में बेलपत्र, शमीपत्र, और अन्य सामग्रियों से शिवलिंग को सजाया जाता है। बेलपत्र की पूजा का भी विशेष महत्व है, जिसकी एक पौराणिक कथा है कि बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
सावन सोमवार
श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन विशेष रूप से ‘शिव पंचाक्षर मंत्र’ का जप किया जाता है। सावन सोमवार का अंक 2, चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है, जो मन को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
काँवर और हरियाली तीज
सावन में काँवर यात्रा भी महत्वपूर्ण होती है। काँवरिया गंगाजल से शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। ‘हरियाली तीज’ सावन के महीने में मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह दिन माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए किए गए तपस्या की याद दिलाता है। इस दिन विशेष रूप से हरी चूड़ियाँ और मेंहदी का महत्व है।
वर्षा का मौसम और साधना
सावन मास में अत्यधिक बारिश होती है, जो भगवान शिव को ठंडक प्रदान करती है। सावन और साधना के बीच मन की एकाग्रता महत्वपूर्ण होती है। साधना के दौरान मन को नियंत्रित करना और एकाग्रचित रहना आवश्यक है, तभी परम तत्व की प्राप्ति संभव है।
इस प्रकार, श्रावण मास धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा विधियों और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।