AIN NEWS 1 चंडीगढ़: पंजाब के मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने पराली जलाने की समस्या पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में इस समस्या को काफी हद तक कम किया गया है, और इस वर्ष भी इसे और घटाने का प्रयास किया जाएगा। मंत्री ने किसानों से भी अपील की कि वे पराली का न्यूनतम मात्रा में जलाने की कोशिश करें।
चीमा ने यह भी बताया कि पंजाब के वित्त मंत्री ने केंद्र सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए कुछ सुझाव भेजे हैं, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इसमें देरी हो रही है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पराली जलाने की समस्या केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं है; यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी देखने को मिलती है, जहां धान की फसल उगाई जाती है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र और राज्य के स्तर पर एक समर्पित योजना बनानी चाहिए। उनका कहना है कि इस मुद्दे का समाधान सभी संबंधित राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि यह किसानों के स्वास्थ्य और जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा, “हमें किसानों के साथ संवाद करना होगा और उन्हें इसके प्रभावों के बारे में जागरूक करना होगा। साथ ही, हमें तकनीकी और आर्थिक सहायता भी प्रदान करनी होगी ताकि वे पराली को जलाने के बजाय और प्रभावी तरीकों का उपयोग कर सकें।”
उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को आधुनिक उपकरण और तकनीक उपलब्ध कराने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इससे न केवल पराली जलाने की समस्या को कम किया जा सकेगा, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ाई जा सकेगी।
मंत्री ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और आवश्यक कदम उठाए ताकि प्रदूषण और पर्यावरणीय समस्याओं से निपटा जा सके।
हरपाल सिंह चीमा का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि पराली जलाना एक गंभीर मुद्दा है, जिसे सामूहिक प्रयास से हल किया जा सकता है। सभी राज्यों को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाया जा सके।
सारांश
पंजाब मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने पराली जलाने की समस्या को हल करने के लिए केंद्र और राज्य के सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान न केवल पंजाब और हरियाणा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी जरूरी है। इससे न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकेगा, बल्कि किसानों की आय में भी सुधार होगा।