AIN NEWS 1: कनाडा में रहने वाले भारतीय युवाओं के लिए अक्सर यह सोच होती है कि विदेश में बसना एक सुनहरा सपना है। उच्च सैलरी, बेहतर जीवन गुणवत्ता, और समृद्धि का विचार उन्हें भारत से बाहर जाने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन इस धारणा के पीछे की हकीकत कई बार भिन्न होती है।
हाल ही में, एक भारतीय मूल के टेक प्रोफेशनल, पीयूष मोंगा, ने इस मुद्दे पर एक वीडियो साझा किया। उन्होंने बताया कि वह टोरंटो में एक SAP स्पेशलिस्ट के रूप में काम कर रहे हैं और उनकी वार्षिक सैलरी 100,000 डॉलर (लगभग 70 लाख भारतीय रुपये) है। हालांकि, उन्होंने खुलासा किया कि यह सैलरी एक महंगे शहर में गुजारा करने के लिए काफी नहीं है।
खर्चों का विवरण
वीडियो में, उन्होंने बताया कि उनके महीने का किराया लगभग $3,000 (लगभग 2,51,130 रुपये) है। इसके अलावा, अन्य खर्चों जैसे खाद्य सामग्री, स्वास्थ्य बीमा, और ट्रांसपोर्टेशन भी होते हैं। ऐसे में, उच्च सैलरी होने के बावजूद, जीवन की गुणवत्ता बनाए रखना एक चुनौती बन जाता है।
सामाजिक प्रतिक्रिया
इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने अपनी राय साझा की। एक यूजर ने बताया कि उन्होंने भी इंफोसिस में काम किया था और अमेरिका भेजने के ऑफर के बावजूद, कई सहकर्मी वहां एक साल में कंपनी बदलने को मजबूर हो गए।
कुछ लोगों ने सलाह दी कि उन्हें अपनी कंपनी बदलने की तैयारी करनी चाहिए, क्योंकि सर्विस कंपनियों में इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर से बेहतर सैलरी नहीं मिलती, चाहे वह अमेरिका हो या कनाडा।
संतोष की कमी
हालांकि, सभी लोग पीयूष की शिकायत से सहमत नहीं थे। एक यूजर ने लिखा कि “मनुष्य कभी भी पैसे से संतुष्ट नहीं होता।” उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कनाडा का जीवन भारत से 20 गुना बेहतर है।
निष्कर्ष
कनाडा में रहने वाले भारतीयों के लिए यह अनुभव दिखाता है कि विदेश में बसना सिर्फ सैलरी के आधार पर ही नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता, मानसिक स्वास्थ्य, और सामाजिक जीवन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। उच्च सैलरी का मतलब हमेशा आर्थिक स्थिरता नहीं होता; कई बार जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करना भी चुनौती बन सकता है।
इस तरह के अनुभवों से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी देश में बसने का निर्णय कई पहलुओं पर निर्भर करता है, और केवल वित्तीय स्थिति को देखकर नहीं किया जा सकता।