AIN NEWS 1 नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 100 से अधिक भक्तों की जान चली गई। यह सत्संग स्वयंभू भगवान बाबा नारायण हरि द्वारा आयोजित किया गया था। देश में आस्था के नाम पर खिलवाड़ करने वाले बाबाओं की फेहरिस्त लंबी है। समय के साथ इनकी असलियत भी लोगों के सामने आ चुकी है। ऐसी ही एक कहानी है निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा की, जिन्होंने असफल व्यवसाय के बाद आस्था के क्षेत्र में अपनी जगह बनाई।
निर्मल बाबा का उदय
निर्मल बाबा का जन्म 1952 में पंजाब के पटियाला में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा समाना, दिल्ली और लुधियाना में हुई। उन्होंने लुधियाना के सरकारी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की, लेकिन अंग्रेजी में एम.ए. की पढ़ाई के दौरान टाइफाइड हो जाने के कारण वे इसे पूरा नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने बिजनेस में हाथ आजमाने का फैसला किया।
शुरुआती संघर्ष और व्यवसाय
22 साल की उम्र में निर्मलजीत ने व्यवसाय करने का निर्णय लिया और अपनी मां से 90,000 रुपये प्राप्त किए। वर्ष 1974 में उन्होंने ईंट-भट्ठा व्यवसाय शुरू करने के लिए डाल्टनगंज का रुख किया। 1976 में उनकी शादी सुषमा नरूला से हुई। बाद में उन्होंने कपड़ों का व्यापार और रांची में चूना पत्थर और कोयले का व्यवसाय भी किया। लेकिन एक दुर्घटना के बाद, उन्हें एक साल से अधिक समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा, जिससे उनका व्यवसाय ठप हो गया।
नई जिंदगी की शुरुआत
1983 में निर्मलजीत और उनकी पत्नी ने अपने दो बच्चों के साथ दिल्ली में नई जिंदगी की शुरुआत की। दिल्ली में उन्होंने समागम करना शुरू किया और धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। भक्त उन्हें निर्मल बाबा के नाम से पुकारने लगे।
टेलीविजन पर लोकप्रियता
2006 में निर्मल बाबा ने टेलीविजन चैनलों पर आना शुरू किया। जल्द ही वे ‘तीसरी आंख’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उनके दरबार में शामिल होने के लिए 3 हजार और टीवी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 5 हजार रुपये फीस देनी होती थी। उनके कार्यक्रम 36 से अधिक टीवी चैनलों पर प्रसारित होते थे।
विवाद और जांच
जुलाई 2012 में निर्मल दरबार की गतिविधियां एक्साइज विभाग की जांच के दायरे में आईं। उन पर लगभग 3.58 करोड़ रुपये सर्विस टैक्स लगाया गया। निर्मल बाबा पर लखनऊ, भोपाल, रायपुर और फतेहपुर में धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं के केस दर्ज हुए। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उनके यहाँ किसी तरह की गड़बड़ नहीं है और उन्होंने अपने दावों की अंतरराष्ट्रीय संस्था से जांच की चुनौती दी।
निजी जीवन और विवाद
निर्मल बाबा ने एक व्यक्ति से 31,000 रुपये लेकर बीमारी से निजात दिलाने का वादा किया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद उस व्यक्ति ने केस दर्ज कराया। 2012 में लखनऊ के गोमती नगर में तान्या ठाकुर और आदित्य ठाकुर ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया। जितेन्द्र सिंह नामक व्यक्ति ने भी उन पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
आस्था के नाम पर कारोबार
निर्मल बाबा ने एक समय में अपने व्यवसाय में असफलता के बाद आस्था के क्षेत्र में कदम रखा और बहुत ही कम समय में वे एक सेलिब्रिटी बन गए। उन्होंने अपने अनुयायियों को कई अजीबोगरीब सलाहें दीं, जैसे कि समोसे को हरी चटनी के साथ खाना, नया पर्स और बेल्ट खरीदना, और उनकी फोटो पैसा रखने के स्थान पर रखना। उनके अनुयायियों ने इन सलाहों को माना और उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई।
निर्मल बाबा की कहानी एक उदाहरण है कि कैसे असफलता के बाद भी एक व्यक्ति अपने तरीके से सफलता प्राप्त कर सकता है। हालांकि, उनकी सफलता विवादों से भी घिरी रही, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी।
Nirmal Baba and other so called self styled spiritual leaders are all cheats and we should not believe them.