AIN NEWS 1: रक्षाबंधन का पर्व देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के संभल जिले के बेनीपुर गांव में इस पर्व का आयोजन नहीं होता। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है और इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। आइए जानते हैं इस अनोखी परंपरा के बारे में और क्यों इस गांव के लोग रक्षाबंधन नहीं मनाते।
बेनीपुर गांव का रक्षाबंधन से परहेज
संभल जिले के बेनीपुर चक गांव के लोग रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं। इसकी वजह है कि गांव में एक बार ऐसा हुआ था कि एक बहन ने अपने भाई से संपत्ति की मांग कर दी थी, जिसे पूरा करना मुश्किल हो गया। इस घटना के बाद से गांव में यह परंपरा बन गई कि रक्षाबंधन का पर्व न मनाया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी बहन की ऐसी मांग से बचा जा सके।
ऐतिहासिक घटनाक्रम
राजवीर, जो बेनीपुर गांव के निवासी हैं, बताते हैं कि यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। राजवीर के पूर्वज मूल रूप से अलीगढ़ जिले के सेमराई गांव के निवासी थे। एक बार ठाकुर परिवार की लड़कियों ने यादव परिवार के बच्चों को राखी बांधने का काम शुरू किया। एक बार, मजाक करते हुए, एक ठाकुर परिवार की लड़की ने अपने पूर्वजों से गांव की संपत्ति की मांग कर दी। इस मांग को पूरा करने के लिए यादव परिवार ने गांव छोड़ने का फैसला किया और संभल आकर बस गए।
परंपरा का महत्व
राजवीर के अनुसार, उनके परिवार का गोत्र बकिया यादव परिवार से संबंधित है। इस गोत्र से ताल्लुक रखने वाले सभी परिवार, चाहे वे देश के किसी भी हिस्से में हों, रक्षाबंधन नहीं मनाते। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है और अब नई पीढ़ी भी इसका पालन करती है। लोग इस परंपरा को निभाने में विश्वास रखते हैं ताकि कोई अनहोनी न हो जाए।
समकालीन स्थिति
बेनीपुर गांव के लोग रक्षाबंधन का त्योहार न मनाकर इस परंपरा को निभाते हैं। यहां तक कि गांव की लड़कियों की शादी के बाद भी, जब वे अपने शहर या गांव जाती हैं, तो रक्षाबंधन के दिन अपने भाइयों को राखी नहीं बांध पातीं। यह परंपरा अब गांव में इतना गहराई से समा चुकी है कि इसे तोड़ने का कोई भी प्रयास गांव वालों द्वारा नहीं किया जाता।
निष्कर्ष
बेनीपुर गांव की यह परंपरा एक दिलचस्प ऐतिहासिक घटना पर आधारित है, जो वर्षों से चली आ रही है। रक्षाबंधन जैसे त्योहार को लेकर यह अनोखा दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि कैसे एक छोटी सी घटना एक लंबे समय तक चलने वाली परंपरा में बदल सकती है। इस परंपरा के चलते, गांव के लोग रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण त्योहार को एक खास तरीके से मनाते हैं, जो उनकी संस्कृति और इतिहास का हिस्सा बन चुका है।