AIN NEWS 1 गाजियाबाद: गाजियाबाद के मोहननगर चेक पोस्ट कार्यालय में एक व्यापारी ने अधिकारियों के सामने कपड़े उतारकर धरना दिया, जिससे मामला तूल पकड़ गया है। व्यापारी का आरोप है कि अधिकारियों ने उससे दो लाख रुपये की मांग की थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इस प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
घटना का विवरण
यह घटना मोहननगर के राज्यकर विभाग में हुई। व्यापारी, जिनका नाम अक्षय जैन बताया गया है, ने दफ्तर के भीतर कपड़े उतारकर धरने पर बैठने का निर्णय लिया। वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मेरे पास पैसे नहीं हैं। दो लाख रुपये कहां से देंगे?” उन्होंने इस दौरान एक-एक करके कपड़े भी उतारे और धरना जारी रखा। दफ्तर के कर्मचारी उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन व्यापारी ने अपनी स्थिति पर अडिग रहने का फैसला किया।
वित्त मंत्रालय की कार्रवाई
इस घटना के वायरल होते ही वित्त मंत्रालय ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है। सेंट्रल जीएसटी के मेरठ मंडल के कमिश्नर को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। गाजियाबाद के सेंट्रल जीएसटी अधिकारियों ने राज्य जीएसटी के अधिकारियों से जानकारी जुटाकर रिपोर्ट भेजी है।
विभाग में प्रमोशन और तैनाती का विवाद
इस बीच, मोहननगर के मोबाइल विंग में तैनात सीटीओ दुर्गेश त्रिपाठी को असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में प्रमोट किया गया है, लेकिन वह अभी भी सीटीओ का कार्यभार संभाल रहे हैं। अडिशनल कमिश्नर ओपी तिवारी ने कहा कि उन्हें जल्द ही वहां से हटाया जाएगा।
मोबाइल विंग में तैनाती की जद्दोजहद
राज्य कर विभाग के मोबाइल विंग में तैनाती को लेकर हमेशा ही मारामारी होती है। विभागीय नियमों के अनुसार, किसी अधिकारी को एक साल से अधिक समय तक इस विंग में नहीं रखा जा सकता, लेकिन कई अधिकारी शासन स्तर पर जुगाड़ करके लंबे समय तक यहां तैनात रहते हैं।
व्यापारी का हंगामा और विभाग की प्रतिक्रिया
राज्य कर विभाग ने हंगामा करने वाले व्यापारियों के खिलाफ साहिबाबाद थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी है। विभाग का कहना है कि व्यापारी एक राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं और उन्होंने विभाग की छवि को खराब करने के लिए इस तरह का हंगामा किया है।
सपा मुखिया का बयान
सपा मुखिया ने भी इस मामले को लेकर ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “भाजपा राज में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का सच, भाजपा ने व्यापारियों के कपड़े तक उतरवा लिए हैं।” इस बयान के बाद मामला और गरमा गया है, और शासन स्तर से वरिष्ठ अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी जा रही है।
निष्कर्ष
गाजियाबाद में यह घटना न केवल व्यापारियों के अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे भ्रष्टाचार और सरकारी दबाव व्यापारी समुदाय को प्रभावित कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय की कार्रवाई और राज्य कर विभाग की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि ऐसे मामलों को हल करने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं।
इस मामले पर नजर रखना आवश्यक है, क्योंकि यह व्यापारियों के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें अपनी आवाज उठाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।