सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बुलडोजर एक्शन पर अस्थायी रोक जारी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने कहा कि जब तक फैसला नहीं आता, देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक रहेगी। हालांकि, अवैध अतिक्रमण हटाने पर कोई रोक नहीं होगी। अवैध अतिक्रमण के मामलों में सड़क, रेल लाइन, मंदिर या दरगाह हो, उसे हटाया जाएगा। कोर्ट का कहना है कि जनहित और सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है।
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुरक्षित रखा।
- अवैध अतिक्रमण हटाने पर कोई रोक नहीं होगी।
- जनहित और सुरक्षा सर्वोपरि है।
कोर्ट का फैसला और बयान
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल कोई भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जाएगी। फैसला आने तक बुलडोजर का इस्तेमाल बंद रहेगा, लेकिन अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई जारी रहेगी। यह स्पष्ट किया गया कि अवैध अतिक्रमण चाहे सार्वजनिक सड़कों पर हो, रेलवे लाइन पर हो, मंदिर या दरगाह पर हो, उसे हटाने की कार्रवाई होगी।
अवधि का निर्धारण नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने अब तक अपने फैसले की तारीख तय नहीं की है, लेकिन इस बीच बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी।
सरकार की दलीलें और कोर्ट की प्रतिक्रिया
सरकार का पक्ष: मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बुलडोजर एक्शन को लेकर आरोप लग रहे हैं कि इसका इस्तेमाल समुदाय विशेष के खिलाफ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दोषियों पर कार्रवाई के तहत ही यह कदम उठाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया: इस पर कोर्ट ने कहा, “भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। जो भी गाइडलाइन्स बनेंगी, वे सभी समुदायों के लिए समान रूप से लागू होंगी।”
कोर्ट के आदेश और मुआवजा
जस्टिस गवई ने स्पष्ट किया कि यदि बुलडोजर एक्शन के दौरान किसी की संपत्ति अवैध रूप से गिराई जाती है, तो पीड़ित को मुआवजा दिया जाएगा और उसकी संपत्ति का पुनर्निर्माण किया जाएगा। अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होता, तो संबंधित अधिकारी पर भी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशांत भूषण का सुझाव: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुझाव दिया कि मुआवजा और पुनर्निर्माण की लागत उन लोगों से वसूली जानी चाहिए जिन्होंने अवैध तोड़फोड़ की है। इस पर जस्टिस गवई ने सहमति जताते हुए कहा कि जस्टिस विश्वनाथन भी इस बात को पहले ही कह चुके हैं।
नोटिस और डिजिटल रिकॉर्डिंग की मांग
कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि बुलडोजर एक्शन से पहले उचित नोटिस दिया जाना चाहिए।
- नोटिस का प्रावधान: ज्यादातर म्युनिसिपल कानूनों के तहत नोटिस जारी करने की प्रक्रिया पहले से मौजूद है। कोर्ट ने कहा कि नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से भेजा जाना चाहिए और इसमें स्पष्ट होना चाहिए कि किस कानून का उल्लंघन किया गया है।
- डिजिटल प्रक्रिया की मांग: जस्टिस विश्वनाथन ने सुझाव दिया कि नोटिस भेजने और उसकी प्राप्ति की जानकारी के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और संबंधित अधिकारी भी सुरक्षित रहेंगे।
बुलडोजर जस्टिस की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा, “अगर कोई व्यक्ति केवल आरोपी है, तो उस पर बुलडोजर एक्शन नहीं हो सकता।” उन्होंने एक मजेदार अंदाज में कहा, “हम इसे ‘बुलडोजर जस्टिस’ नहीं कह सकते।”
बुलडोजर एक्शन के आंकड़े
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि बुलडोजर एक्शन के केवल 2% मामले ही विवादास्पद होते हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया में इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है।
जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि तोड़फोड़ की कार्रवाई से जुड़े करीब 4.5 लाख मामले हैं और यह एक गंभीर मुद्दा है। कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर एक्शन केवल अवैध अतिक्रमण हटाने तक सीमित होना चाहिए, न कि किसी समुदाय को निशाना बनाने के लिए।
सुप्रीम कोर्ट की पिछली सुनवाईयों का सारांश
- 17 सितंबर 2024: सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई थी और कहा था कि अगर कुछ समय के लिए यह कार्रवाई रुकेगी तो “आसमान नहीं फट पड़ेगा।”
- 12 सितंबर 2024: कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को कानूनों का उल्लंघन बताया था। गुजरात में एक परिवार पर बुलडोजर कार्रवाई की धमकी का मामला कोर्ट में आया था।
- 2 सितंबर 2024: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों पर बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर कार्रवाई नहीं हो सकती, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण को संरक्षण नहीं दिया जा सकता।
हालिया घटनाएं: बुलडोजर एक्शन
मध्य प्रदेश: छतरपुर में 21 अगस्त को एक व्यक्ति की 20 करोड़ की हवेली को गिरा दिया गया। FIR में आरोप था कि उसके परिवार ने पुलिस पर हमला करवाया था।
राजस्थान: उदयपुर में एक चाकूबाजी की घटना के बाद आरोपी के घर पर बुलडोजर कार्रवाई की गई।
उत्तर प्रदेश: मुरादाबाद में एक महिला के अपहरण के प्रयास में शामिल आरोपी के घर पर बुलडोजर चला दिया गया था।