AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति के दोषी साबित होने पर भी उनकी इमारतें नहीं गिराई जा सकतीं।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की और इस पर तीखी टिप्पणी की कि किसी व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने के बावजूद उनकी संपत्ति को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के नहीं गिराया जा सकता। अदालत ने ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कहा गया था कि कुछ स्थानों पर बिना नोटिस के घरों और संपत्तियों को गिराया जा रहा है, जो कि प्रतिशोधात्मक कार्रवाई की तरह प्रतीत होता है।
यह याचिका मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन और राजस्थान के राशिद खान ने दायर की थी। दोनों ने आरोप लगाया है कि उनके घरों और दुकानों को अवैध तरीके से बुलडोजर चला कर ढहा दिया गया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और कहा, “अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसकी संपत्ति को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के नहीं गिराया जा सकता।”
राशिद खान ने अपनी याचिका में बताया कि 17 अगस्त 2024 को उनके घर को जिला प्रशासन ने ढहा दिया। यह घटना उदयपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद हुई थी, जिसमें कई वाहनों को आग लगा दी गई थी और बाजार बंद कर दिए गए थे। यह हिंसा एक मुस्लिम छात्र द्वारा हिंदू सहपाठी को चाकू मारने की घटना के बाद भड़की थी, जिसमें सहपाठी की मौत हो गई थी। खान आरोपी छात्र के पिता हैं और उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके घर को प्रतिशोध के तहत गिराया गया।
मोहम्मद हुसैन ने भी इसी प्रकार के आरोप लगाए हैं कि उनकी दुकान और घर को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के गिरा दिया गया। उन्होंने इस बारे में न्याय की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर अगले सोमवार को आगे की सुनवाई का आदेश दिया है। यह स्पष्ट संकेत है कि अदालत ऐसे मामलों में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दे रही है और बुलडोजर एक्शन को न्याय के खिलाफ एक दंडात्मक उपाय मान रही है।