AIN NEWS 1: संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद एक नया मोड़ ले चुका है। चंदौसी कोर्ट में एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने 45 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट और 1200 से अधिक फोटो-वीडियो जमा किए हैं। सर्वे रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक गोपनीय रखा जाएगा।
कैसे हुआ सर्वे?
सर्वे की शुरुआत 19 नवंबर 2023 को हुई, जब टीम ने करीब डेढ़ घंटे तक मस्जिद का निरीक्षण किया। इसके बाद 24 नवंबर को तीन घंटे का दूसरा सर्वे किया गया। हालांकि, उसी दिन हिंसा भड़क गई, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी। एडवोकेट कमिश्नर ने कहा कि सर्वे के दौरान जो भी प्रमाण मिले, उन्हें सिविल डिवीजन जज आदित्य सिंह की अदालत में सौंप दिया गया है।
क्या कहता है हिंदू पक्ष?
हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही जामा मस्जिद असल में श्रीहरिहर मंदिर है। यह दावा कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी ने किया। उनके अनुसार, मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण मौजूद हैं। याचिका में बताया गया है कि इस जगह पर भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है।
याचिका के आधार और साक्ष्य
हिंदू पक्ष ने कोर्ट में 95 पन्नों की याचिका दायर की, जिसमें निम्नलिखित साक्ष्यों को आधार बनाया गया:
1. बाबरनामा: इसमें उल्लेख है कि बाबर के आदेश पर 1529 में श्रीहरिहर मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद में तब्दील किया गया।
2. आइन-ए-अकबरी: यह बताती है कि संभल का हरि मंडल (श्रीहरिहर मंदिर) एक प्राचीन स्थल है, जहां भगवान विष्णु का दसवां अवतार होगा।
3. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट: 150 साल पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के कई हिस्से मूल मंदिर की संरचना से मेल खाते हैं।
मंदिर के प्रमाण क्या हैं?
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि मस्जिद की दीवारों पर प्लास्टर हटाने से नीचे पत्थर की संरचना मिली, जो हिंदू मंदिर का हिस्सा हो सकती है।
मस्जिद की इमारत में मंदिर की वास्तुकला के निशान पाए गए।
मामले से जुड़े प्रमुख नाम
याचिकाकर्ताओं में सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। इसके अलावा महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह और अन्य ने भी याचिका दायर की है।
आगे की कार्यवाही
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बिना रिपोर्ट नहीं खोली जाएगी। अगर विपक्षी पक्ष हाईकोर्ट का रुख करता है, तो मामले में अगली सुनवाई की तारीख तय होगी।
संभल जामा मस्जिद का सर्वे और हिंदू पक्ष के दावों ने ऐतिहासिक विवाद को पुनर्जीवित कर दिया है। अब यह देखना होगा कि अदालत क्या फैसला करती है।