AIN NEWS 1 | तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर चल रहे विवाद के बीच आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में रेड्डी ने वर्तमान मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्हें “आदतन झूठ बोलने वाला” बताया और कहा कि नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाई है।
नायडू पर आरोप
रेड्डी ने अपने पत्र में कहा कि चंद्रबाबू नायडू बार-बार झूठ बोलने वाले व्यक्ति हैं, जो अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने पीएम मोदी से अपील की कि नायडू को झूठे दावे फैलाने के लिए कड़ी फटकार लगाई जाए और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की पवित्रता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए सच्चाई सामने लाई जाए।
रेड्डी की अपील
रेड्डी ने कहा, “देश इस समय आपकी ओर देख रहा है। नायडू के बेशर्म कृत्यों से करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं के मन में पैदा हुआ संदेह दूर होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि टीटीडी की पवित्रता और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के नायडू के प्रयास निंदनीय हैं।
मिलावटी घी की हकीकत
रेड्डी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि कथित मिलावटी घी को टीटीडी परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी और इसे अस्वीकार कर दिया गया था। रेड्डी का कहना है कि नायडू ने जानबूझकर 18 सितंबर को एक राजनीतिक बैठक में इस मुद्दे को उठाया, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई।
नायडू के दावे
कुछ दिन पहले एनडीए की बैठक में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने श्री वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी और निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल किया।
टीटीडी का जवाब
20 सितंबर को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नमूनों के लैब परीक्षण में जानवरों के वसा और चरबी की पुष्टि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि मिलावटी घी की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार को काली सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
इस विवाद के बीच, जगन मोहन रेड्डी का पत्र प्रधानमंत्री से तिरुपति मंदिर की पवित्रता और भक्तों के विश्वास की रक्षा के लिए सच्चाई उजागर करने की मांग करता है। वहीं, चंद्रबाबू नायडू के दावे ने इस मुद्दे को और भी गरमा दिया है, जिससे तिरुपति के प्रसाद की शुद्धता पर गंभीर सवाल उठ गए हैं।