AIN NEWS 1 Train Accident : सोमवार को पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा के पास एक दुखद ट्रेन हादसा हुआ। सियालदाह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) को पीछे से एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी, जिससे कंचनजंगा एक्सप्रेस के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई और 30 लोग घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। हादसे की जांच जारी है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैसे दो ट्रेनें एक ही पटरी पर आ गईं।
रेलवे का सिस्टम कैसे काम करता है?
रेलवे में हर ट्रेन और उसके रूट के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम होता है। इस सिस्टम की मदद से हर ट्रेन को एक अलग ट्रैक पर रखा जाता है ताकि दुर्घटना की संभावना न हो। यह सिस्टम सिग्नल और ट्रैक चेंजिंग को नियंत्रित करता है।
ट्रैक पर दो ट्रेनों के आने के कारण
- सिग्नल फाल्ट: सिग्नल में तकनीकी खराबी होने से ट्रेनों को गलत संकेत मिल सकते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग चेंज में गलती: इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में कोई त्रुटि होने से ट्रेनों का रूट गलत हो सकता है।
ट्रैक सर्किट और कंट्रोल सिस्टम
रेलवे ट्रैक पर इलेक्ट्रिकल सर्किट लगाए जाते हैं जो ट्रेन के आने की जानकारी देते हैं। जैसे ही ट्रेन ट्रैक सेक्शन पर आती है, यह सर्किट सक्रिय हो जाता है और ट्रेन की जानकारी आगे फॉरवर्ड करता है। कंट्रोल रूम इस जानकारी के आधार पर सिग्नल और ट्रैक को नियंत्रित करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ट्रेन सही ट्रैक पर जा रही है।
ट्रैक बदलने की प्रक्रिया
कंट्रोल रूम से ट्रेन के रूट को तय किया जाता है। दो पटरियों के बीच एक स्विच होता है, जो दोनों पटरियों को जोड़ता है। कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी कमांड मिलने पर इस स्विच को ऑपरेट करते हैं, जिससे पटरियां बदल जाती हैं।
हादसों के कारण
टेक्निकल कारणों या मानवीय गलती की वजह से कभी-कभी ट्रैक चेंज नहीं हो पाता है। इससे ट्रेन तय रूट से अलग ट्रैक पर चली जाती है और हादसा हो जाता है।