AIN NEWS 1 न्यूयॉर्क: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस और यूक्रेन यात्रा पर अमेरिका के भारत में राजदूत, एरिक गार्सेटी ने कहा है कि हम सभी देशों के सहयोग और भागीदारी का स्वागत करते हैं जो शांति स्थापित करने में योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि शांति की प्रक्रिया कठिन होती है और इसके लिए मित्र देशों के साथ कठिन चर्चाएं आवश्यक हैं।
गार्सेटी ने कहा कि अगर हम इस सिद्धांत से शुरू करें कि दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण कानून सीमाओं की संप्रभुता है, तो यह विशेष रूप से भारत के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शांति किसी भी देश की कीमत पर न आए। हम उस भागीदारी का स्वागत करते हैं, बशर्ते वह एक संप्रभु देश पर अनावश्यक और बिना अनुमति के आक्रमण के सिद्धांतों का पालन करे।”
#WATCH | New York: On PM Modi’s Russia and Ukraine visit, US Ambassador to India, Eric Garcetti says, "We welcome everyone's cooperation and participation in peacemaking. Peacemaking is hard work. It requires difficult conversations with friends. I think if you start from the… pic.twitter.com/LlHHOutm35
— ANI (@ANI) September 24, 2024
राजदूत ने आगे कहा कि भारत के रूस और यूक्रेन के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं, जो प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सक्षम बनाते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यदि हम इन सिद्धांतों को साथ में रखते हैं, तो हम इसका स्वागत करेंगे क्योंकि इस प्रक्रिया में कठिन चर्चाएं आवश्यक होंगी।
उन्होंने यह बात भी कही कि भारत कई बार दरवाजे खोलता है, जबकि अमेरिका नहीं करता, और इसके विपरीत भी यही होता है। गार्सेटी ने दो लोकतंत्रों द्वारा दो चुनावों के आयोजन का उदाहरण दिया, यह दिखाने के लिए कि लोकतंत्र मजबूत हैं और कानून का शासन महत्वपूर्ण है।
अंत में, उन्होंने यह कहा कि सिद्धांतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारतीय नेतृत्व की भूमिका को मान्यता देते हुए, उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत इस महत्वपूर्ण समय में एक सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
यह बयान भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है, और यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका भारत के दृष्टिकोण और उसके वैश्विक सहयोग में महत्वपूर्ण योगदान की सराहना करता है।
इस प्रकार, शांति स्थापित करने के लिए सभी देशों को एकजुट होना आवश्यक है, और भारत इस प्रक्रिया में एक प्रमुख भागीदार बन सकता है।