AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती की परंपरा बहुत पुरानी है, और यह क्षेत्र देश के प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में शामिल है। विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में गन्ने की खेती प्रमुख फसल के रूप में उगाई जाती है। इनमें बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, मेरठ, हापुड, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सम्भल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, और लखीमपुर खीरी प्रमुख हैं। इस क्षेत्र में गन्ने की सामान्य लंबाई 8 से 10 फुट के आसपास होती है, लेकिन हाल ही में बिजनौर जिले के किसानों ने गन्ने की फसल में नए प्रयोग किए हैं जिससे गन्ने की लंबाई 20 फुट तक पहुंच गई है।
नए प्रयोग से बढ़ी गन्ने की लंबाई
बिजनौर जिले के नांगल, तिसोतरा, और गंज इलाकों में गन्ने की खेती में नया प्रयोग देखने को मिल रहा है। यहां के किसान मोनवीर सिंह और संदीप तोमर के खेत में गन्ने की फसल की लंबाई अब 15 से 18 फुट तक हो चुकी है। यह उम्मीद जताई जा रही है कि अक्टूबर-नवंबर तक फसल की लंबाई 20 से 22 फीट तक हो सकती है। इस क्षेत्र में आम तौर पर 10 फीट तक के गन्ने को अच्छा माना जाता है, लेकिन इन नए प्रयोगों से किसानों की फसल की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
बीज परिवर्तन का प्रभाव
विधायक स्वामी ओमवेश के मुताबिक, गन्ने की खेती में बीते दो वर्षों से नए बीज का प्रयोग किया गया है। पहले गन्ने की 038 वैरायटी में पोका बोइंग फंगस, रेड रूट डीसीज, और सूड़ी जैसी बीमारियां लग जाती थीं, जिससे किसानों की फसल का 30 प्रतिशत तक नुकसान हो जाता था। इन समस्याओं को देखते हुए किसानों ने नए बीज की ओर रुख किया, जिसका परिणाम उनकी फसल की पैदावार में सुधार के रूप में सामने आया है। नए बीज के साथ-साथ गन्ने की देखभाल, खाद, दवाई, खुदाई और पानी की उचित व्यवस्था ने भी फसल की गुणवत्ता में सुधार किया है।
गन्ने की खेती और अर्थव्यवस्था
बिजनौर जिले में गन्ने की खेती लगभग ढाई लाख हेक्टेयर में की जाती है। इस क्षेत्र में नौ चीनी मिलें, तीस केन क्रेशर और सैकड़ों गुड़ कोल्हू ऑपरेट हो रहे हैं। ये मिलें और क्रेशर गन्ने की खरीदारी कर चीनी, सीरा, एथेनॉल, और गुड़ का उत्पादन करते हैं। इस तरह के सफल प्रयोग से न केवल किसानों की आय में वृद्धि हुई है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो रहा है।
भविष्य की दिशा
नए बीज और कृषि विधियों के प्रयोग से किसान न केवल अपनी फसल की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ा रहे हैं, बल्कि इससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हो रही है। तिसोतरा गांव के प्रधान कामेंद्र तोमर के अनुसार, उन्नत बीज के साथ-साथ गन्ने की खेती में फसल की देखभाल, खाद, दवाई, खुदाई और पानी की सही व्यवस्था भी महत्वपूर्ण है।
इन नए प्रयोगों को देखकर अन्य किसान भी गन्ने की खेती में बदलाव पर विचार कर रहे हैं। इस तरह के प्रयोगों से न केवल किसानों की स्थिति में सुधार हो रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र की कृषि संभावनाओं को भी नया दिशा मिल रहा है।
इन बदलावों के साथ, उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती का भविष्य और भी उज्ज्वल होता दिख रहा है, और यह संभावना है कि अन्य क्षेत्रों में भी इन सफल प्रयोगों को अपनाया जाएगा।