AIN NEWS 1नई दिल्ली🙁 BJP lost in Ayodhya Why) जैसा कि आप सभी जानते है 22 जनवरी के दिन अयोध्या में जब रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो रही थी तो पूरी अयोध्या में ही चारो और नारे लग रहे थे कि ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे।’ उससे अयोध्या के लोगों का मतलब पूरी तरह से साफ था कि अयोध्यावासी मोदी सरकार के कामकाज से काफ़ी ज्यादा खुश हैं। राम मंदिर निर्माण की वजह से अयोध्या में चारों और जश्न का माहौल था। इससे भाजपा पार्टी पूरी तरह से कॉन्फिडेंट थी कि इस बार राम मंदिर की वजह से पार्टी को लोकसभा चुनाव में काफ़ी ज्यादा फायदा मिलेगा। इस बार के चुनावी प्रचार के दौरान भी देशभर में पीएम मोदी से लेकर तमाम भाजपा नेताओं ने ही राम मंदिर का जिक्र करते हुए जनता से वोट भी मांगे।
यहां हम आपको बता दें भाजपा ने तीसरी बार फैजाबाद-अयोध्या लोकसभा सीट से ही इस बार भी लल्लू सिंह को ही अपना उम्मीदवार बनाया। पार्टी को यहां पूरी उम्मीद थी कि लल्लू सिंह इस लोकसभा सीट से अपनी जीत की हैट्रिक इस बार लगाएंगे। हालांकि, अयोध्या के चुनावी रिजल्ट ने आते ही पूरे देश को चौंका कर रख दिया। अयोध्या के लोगों ने इस बार भाजपा उम्मीदवार की जगह समाजवादी पार्टी के नेता अवधेश प्रसाद पर अपना भरोसा जताया। अवधेश प्रसाद ने इस बार लल्लू सिंह को 54,567 वोटों से मात दे दी।इस बार चौंकाने वाले रिजल्ट के पीछे कुछ महत्वपूर्ण वजहें रही है।
आइए आज हम जान लें कि आख़िर कौन-कौन से कारण हैं- जो लल्लू सिंह के खिलाफ इस बार अयोध्या क्षेत्र के लोगों में एंटी इन्कंबैंसी बनी हुई थी।
सबसे पहले अयोध्यावासियों में अपने सांसद के कामकाज को लेकर काफ़ी ज्यादा नाराजगी थी। राम मंदिर के निर्माण की वजह से भी मंदिर परिसर के आसपास की सड़कों को चौड़ा करने और बुनियादी ढांचे को और ज्यादा विकसित करने के लिए सरकार ने कई सारे लोगों को दुकानों और घरों को भी तोड़े, जिसकी वजह से लोगों में यह नाराजगी थी। लल्लू सिंह अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से ओवर कॉन्फिडेंस थे। चुनाव प्रचार के दौरान भी लोगों तक उनका संदेश सही ढंग से नहीं पहुंच पाया। सांसद लल्लू सिंह पर इस बार अयोध्या क्षेत्र में जमीन खरीद कर उसे काफ़ी ऊंचे दामों में बेचने का आरोप भी लगा हुआ है। विपक्षी नेताओं द्वारा अयोध्या में कुछ जमीन के खरीद-बिक्री का मुद्दा भी काफ़ी जोरों-शोरों से उठाया गया था। लोकसभा चुनाव के दौरान ही लल्लू सिंह का एक ऐसा वीडियो भी काफी ज्यादा वायरल हो गया था, जिसमें वो साफ़ कह रहे थे कि संविधान में संशोधन करने के लिए इस बार 272 सीटों के बहुमत वाली सरकार को भी काफ़ी संघर्ष करना होगा, इसलिए दो-तिहाई से अधिक बहुमत की इस बार आवश्यकता है।” इस दौरान राजनीतिक पर्यवेक्षकों का भी मानना है कि यह विवादास्पद टिप्पणी भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ मे चली गई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कहा,”मैं अयोध्या के लोगों का धन्यवाद देता हूं। आपने समय-समय पर अयोध्या का दर्द देखा होगा। उन्हें उनकी जमीन के लिए उचित मुआवजा भी नहीं दिया गया, आपने उन पर झूठे मुकदमे लगाकर जबरन उनकी जमीन भी छीन ली। इसलिए, मुझे लगता है कि अयोध्या और आस-पास के इलाकों के लोगों ने इस बार बीजेपी के खिलाफ ही वोट दिया।”