AIN NEWS 1 : अमेठी में अनुज प्रताप सिंह के हालिया एनकाउंटर ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अनुज की बहन, अमीषा, ने इस मामले में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि उनके भाई को गलत तरीके से फंसाया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुज निर्दोष था और उसे जानबूझकर एनकाउंटर का शिकार बनाया गया।
अनुज का अपराध का रिकार्ड
अमीषा ने बताया कि उनके भाई पर 30-40 मुकदमे थे, लेकिन वे सभी मामलों में निर्दोष थे। उनका कहना है कि यह समझ से बाहर है कि एक व्यक्ति जो पहले से ही कानून के शिकंजे में है, कैसे एनकाउंटर का शिकार बन गया। उन्होंने दो व्यक्तियों, विपिन सिंह और विनय शुक्ला, पर आरोप लगाया कि उन्होंने अनुज को फंसाने की साजिश की।
बहन की चिंताएं
अमीषा ने कहा, “मेरा भाई निर्दोष था। वह पिछले कुछ समय से खुलेआम घूम रहा था। जब एक ऐसा व्यक्ति, जो पहले से ही कई मामलों में लिप्त है, फिर भी स्वतंत्रता से घूम सकता है, तो यह किस तरह की न्याय व्यवस्था है?” उनके इस सवाल ने पुलिस और न्यायालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
एनकाउंटर के कारण
एनकाउंटर के कारणों पर चर्चा करते हुए, अमीषा ने कहा कि पुलिस का काम अपराधियों को पकड़ना है, न कि उन्हें एनकाउंटर के जरिए खत्म करना। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को पहले पूरे सबूत जुटाने चाहिए थे, बजाय इसके कि बिना किसी जांच-पड़ताल के उन पर गोली चलाई जाती।
न्याय की मांग
अमीषा ने न्याय की मांग करते हुए कहा, “हम अपने भाई के लिए न्याय चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी और सच सामने आएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस की कार्यप्रणाली को सुधारने की जरूरत है ताकि भविष्य में कोई और निर्दोष व्यक्ति इसी तरह की स्थिति का शिकार न बने।
निष्कर्ष
इस मामले ने समाज में न्याय व्यवस्था के प्रति सवाल उठाए हैं। जब एक निर्दोष व्यक्ति को इस तरह से एनकाउंटर का शिकार बनाया जाता है, तो यह न्याय प्रणाली पर गंभीर चिंता का विषय है। अमीषा की आवाज़ आज उन सभी लोगों की आवाज़ बन गई है, जो अन्याय का सामना कर रहे हैं।
उनकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी एनकाउंटर का आधार सिर्फ और सिर्फ ठोस सबूत होना चाहिए, न कि पूर्वाग्रह या व्यक्तिगत दुश्मनी। इस मामले में पुलिस को पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि लोगों का विश्वास न्याय व्यवस्था पर बना रहे।
अमीषा के सवाल इस बात की याद दिलाते हैं कि कानून की दृष्टि में सभी को समान अधिकार मिलना चाहिए, और किसी भी व्यक्ति को बिना उचित प्रक्रिया के सजा नहीं दी जानी चाहिए।