AIN NEWS 1: हिमालयन वियाग्रा’, जिसे कीड़ा जड़ी या यार्सागुम्बा के नाम से भी जाना जाता है, एक बेहद महंगी और अनोखी जड़ी-बूटी है। इसे वैज्ञानिक रूप से कैटरपिलर फंगस या कॉर्डिसेप्स सिनेंसिस के नाम से जाना जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग और अद्वितीय गुणों के कारण इसकी कीमत लाखों में होती है।
‘हिमालयन वियाग्रा’ क्या है?
‘हिमालयन वियाग्रा’ एक विशेष प्रकार की फफूंद है जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और हिमाचल प्रदेश के ऊपरी हिमालयी क्षेत्रों में उगती है। यह जड़ी-बूटी 3,000 मीटर से ऊपर की ऊँचाई पर पाई जाती है। यह तब उत्पन्न होती है जब एक विशेष कैटरपिलर एक खास तरह की घास खाता है और मरने के बाद उसके शरीर में यह फफूंद उगती है। इसका आधा हिस्सा कीड़ा और आधा हिस्सा जड़ी-बूटी होता है, इसी कारण इसे कीड़ा जड़ी कहा जाता है।
उपयोग और मांग
‘हिमालयन वियाग्रा’ का उपयोग शक्तिशाली टॉनिक के रूप में किया जाता है और यह कैंसर की दवाओं के निर्माण में भी सहायक है। भारत में यह मुख्यतः उत्तराखंड के धारचूला और मुनस्यारी जिलों में पाया जाता है। इसके अलावा, यह अन्य हिमालयी राज्यों में भी मिलती है।
इसके अलावा, चीन, सिंगापुर और हांगकांग में भी इस जड़ी-बूटी की भारी मांग है। ये देश इसके व्यापारी इसे खरीदने के लिए आते हैं, जिससे इसकी कीमत और बढ़ जाती है।
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