भोपा गंगनहर के किनारे डाली गई राख को लेकर प्रत्येक के द्वारा अलग-अलग कथन सामने आ रहे हैं सामने कोई केमिकल की पुष्टि करने की बात कहता है तो कोई गंधक इत्यादि के साथ बरसात के पानी के रिएक्शन करने की बात कहता है कहीं हड्डी दबी होने की बात सामने आती है तो कहीं खाली छाई या 2018 के केमिकल के ड्रम दबे होने की बात सामने आती है आखिर सच्चाई क्या है जिलाधिकारी महोदय के संज्ञान में सभी वार्ताएं आ रही है और उन्होंने लखनऊ से एक स्पेशल टीम जो कि आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक और आई आई आर से संबंध रखने वाले प्रिंसिपल साइंटिस्ट डीके पटेल की देखरेख में इसके सैंपल को सैंपल बैग में एकत्रित करवा कर लखनऊ जांच के लिए ले गए क्योंकि इसमें प्रदूषण/सिंचाई/पुलिस एवं प्रशासन सभी व्यक्तियों की जवाबदेही बनती है, कि यह राखी कैमिकल जोकि वीडियो में दिखने में ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे ज्वालामुखी के लावा की तरह उबल रहा हो। क्योंकि यह राखी/छाई जिले में जगह-जगह एकत्रित हो रखी है और इसके नीचे यह ज्वालामुखी जैसी चीज उबाल ले रही है। कोई भी अप्रिय घटना कभी भी हो सकती है गंभीर विषय है, क्योंकि पहले भी तीन व्यक्ति इससे प्रभावित हो चुके हैं, परंतु अभी भी रहस्य बरकरार है किस को बचाने की कवायद चल रही है, यह एक प्रश्न है।
इसमें कही न कही वो इंडस्ट्री भी दोषी है जिनका सीधा संबंध इस राख से है, आज गंग नहर के आसपास के लोगो में भय का माहौल है किसने जीव जंतु इस राख में भस्म हो गए है कोई अंदाजा नहीं है। गंग नहर का पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है जिसे दिल्ली एनसीआर में पीने के काम में लिया जाता है। प्रदूषण विभाग को जानकारी ही नहीं थी और इतना बड़ा खेल नाक के नीचे खेला गया, साथ ही वनविभाग की सैकड़ों बीघा जमीन पर कब्जा हो गया विभाग को जानकारी होते हुए भी यह राख का काला खेल होने दिया।