AIN NEWS 1: बता दें मेरठ से करीब 30 किमी दूरी पर है सरधना तहसील है। यहां का मंडी चमारान मोहल्ला पिछले 12 दिनों से एक अनोखे खौफ मे है। इस खौफ का नाम, गंदा पानी है। इसे पीने से मोहल्ले के 5 लोगों की अब तक जान जा चुकी है। 4500 लोगों की आबादी वाले मोहल्ले में 250 से ज्यादा लोग यहां हैजा से जूझ रहे हैं।इस मोहल्ले में गंदा पानी 12 दिन पहले ही घरों में सप्लाई हुआ था। सीवेज मिला पानी पीकर लोगों को पहले तो उल्टी, दस्त लगे। देखते-देखते चमारान के लगभग हर घर में हैजा फैल गया। महामारी के डर से लोग घर छोड़कर भी चले गए। कई घरों में तो ताला बंद है।
डॉक्टरों की टीम ने मोहल्ले में आकर दवाएं बांटी, और जांच भी की। मगर, दो दिन बाद ही सरकारी सुविधाएं भी ठंडी पड़ गईं, लेकिन मंडी चमारान में हालात अभी भी काफ़ी नाजुक हैं। पानी से खौफजदा परिवारों की आपबीती जानने मिडिया बंधु चमारान में ग्राउंड पर पहुंचे। यहां मोहल्ले के लोग लगभग 3 किमी दूर से बाल्टियां लेकर पीने का पानी भरने जाते हैं।
बता दें दिन निकलते ही 3 किमी दूर से पानी का इंतजाम
मेरठ मुख्य शहर से 30 किमी दूर सरधना का मंडी चमारान मोहल्ला। यह एक संकरी गली के दो तरफ बसे इस मोहल्ले में घुसने के सिर्फ दो hir रास्ते हैं। मोहल्ले के दोनों छोर पर दो सड़कें हैं। दोनों ही सड़कों पर काफ़ी पानी लकीरों की तरह फैला है। और इस पानी के फैलने का कारण है यहां मोहल्ले के लोगो का 3 किमी दूर बाल्टियां लेकर पीने का पानी भरने जाना। 3 किमी दूर से बाल्टी का पानी लाते-लाते आधा पानी छलक कर गिर ही जाता है। यहां महामारी के डर से कई लोग घर छोड़कर चले गए। कई घरों में तो ताला बंद है।
सुबह होते ही मोहल्ले के हर घर से एक न एक सदस्य तो ज़रूर पानी की बाल्टी, डिब्बा हाथ में लेकर घर से पानी के लिए निकल जाता है। पानी लेकर आ रहे लोगों ने पूछने पर बताया कि मोहल्ले का पानी काफ़ी ज्यादा खराब हो चुका है। इसलिए बाहर से ही पानी भरकर लाते हैं। यहां दिन निकलते ही पानी के इंतजाम में हजारों लोग जुट जाते हैं।
यह मोहल्ले में लोग अब खुद ही सबमर्सिबल भी लगवा रहे हैं ताकि उन्हें साफ पानी मिल सके।
बच्चों की पढ़ाई, बड़ों का काम भी छूटा
हाथ में बाल्टी लेकर बच्चों का एक झुंड आपको आता दिख जायेगा यहां। 5वीं की छात्रा रूबी कहती हैं कि पिछले 12 दिनों से स्कूल ही नहीं गईं, क्योंकि सुबह सुबह पानी भरना होता है। दिन में भी कभी कभी मम्मी बाहर से पानी लाती हैं तो कभी मैं। तभी घर में खाना पकता है और पानी पीने को मिलता है। हमारे घर मे पानी से काफ़ी बीमारी फैल रही है। इसलिए दूर जाकर ताऊजी के यहां से पानी लाते हैं। रुबी की तरह दूसरे बच्चे भी इन दिनों घर में पानी भरने में ही लगे रहते हैं। उनकी पढ़ाई भी छूट चुकी है। मोहल्ले के पुरुष हाथ ठेला, रिक्शा, बाइकों पर दूध के डिब्बे, बाल्टी बांधकर बाहर से पानी ला रहे हैं। कहते हैं कि सुबह उठकर काम पर जाना ही छूट गया है। पहले घर का पानी भरते हैं फिर रोजी-रोटी का सोचते हैं।