AIN NEWS 1: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर एक बार फिर राज्य की राजनीति गरमा गई है। इस मामले में अब नया मोड़ तब आया, जब भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक सुरेश राठौर की पत्नी द्वारा जारी किए गए एक वीडियो ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी। वीडियो में कथित तौर पर कुछ वीआईपी लोगों के नामों का इशारा किए जाने के बाद विपक्ष ने सरकार पर तीखे सवाल खड़े कर दिए हैं।
🔹 क्या है पूरा मामला?
अंकिता भंडारी हत्याकांड पहले ही उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में गूंज चुका है। युवा रिसेप्शनिस्ट अंकिता की हत्या ने समाज, राजनीति और प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया था। इस केस में शुरुआती जांच से लेकर अब तक कई बार सवाल उठे कि क्या पीड़िता को वास्तव में पूरा न्याय मिल पा रहा है या नहीं।
अब एक बार फिर यह मामला चर्चा में तब आया, जब एक वायरल वीडियो सामने आया, जिसमें भाजपा के पूर्व विधायक की पत्नी ने कथित रूप से कुछ ऐसे नामों का जिक्र किया, जिन्हें आम तौर पर “प्रभावशाली” या “वीआईपी” कहा जाता है।
🔹 वीडियो में क्या दावा किया गया?
हालांकि वीडियो की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है, लेकिन सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे इस वीडियो में महिला यह दावा करती दिख रही हैं कि अंकिता केस से जुड़े कुछ अहम पहलुओं को दबाया गया। वीडियो में सीधे तौर पर किसी का नाम न लेते हुए भी, संकेत ऐसे दिए गए हैं, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस हत्याकांड में कुछ रसूखदार लोगों की भूमिका थी।
वीडियो के सामने आते ही राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो गई।
🔹 विपक्ष का सरकार पर हमला
इस वीडियो को आधार बनाते हुए विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि यदि अब भी नए तथ्य सामने आ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि जांच पूरी तरह पारदर्शी नहीं रही।
विपक्षी नेताओं का आरोप है कि—
सरकार ने शुरू से ही मामले को हल्का दिखाने की कोशिश की
कुछ बड़े नामों को बचाने के लिए जांच की दिशा बदली गई
पीड़िता और उसके परिवार को अब तक पूरा न्याय नहीं मिला
विपक्ष ने मांग की है कि इस वायरल वीडियो की निष्पक्ष जांच हो और यदि इसमें किए गए दावे सही पाए जाते हैं, तो संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
🔹 भाजपा की प्रतिक्रिया
वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को राजनीतिक ड्रामा बताया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि—
यह मामला न्यायालय में है
जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं
बिना प्रमाण के किसी पर आरोप लगाना गलत है
भाजपा का यह भी कहना है कि वायरल वीडियो का इस्तेमाल केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है और इससे पीड़िता के परिवार की पीड़ा को और बढ़ाया जा रहा है।
🔹 जनता के मन में उठते सवाल
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच आम जनता के मन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं—
क्या अंकिता को सच में पूरा न्याय मिल पाया?
क्या जांच में किसी तरह का दबाव या हस्तक्षेप हुआ?
अगर नए तथ्य सामने आ रहे हैं, तो पहले क्यों नहीं आए?
लोगों का कहना है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में राजनीति से ऊपर उठकर सच्चाई सामने आनी चाहिए।
🔹 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा ट्रेंड करने लगा है। लोग #AnkitaBhandariCase के जरिए सरकार और सिस्टम से सवाल पूछ रहे हैं। कई यूजर्स का कहना है कि—
“जब तक हर सवाल का जवाब नहीं मिलेगा, तब तक अंकिता को न्याय नहीं कहा जा सकता।”
कुछ लोग वीडियो को गंभीर मानते हुए सीबीआई जांच की मांग भी कर रहे हैं।
🔹 क्या दोबारा खुलेगा मामला?
कानूनी जानकारों का मानना है कि यदि वीडियो में लगाए गए आरोपों को लेकर कोई ठोस सबूत सामने आता है, तो जांच एजेंसियां दोबारा कुछ बिंदुओं की समीक्षा कर सकती हैं। हालांकि, अंतिम फैसला सबूतों और अदालत के निर्देशों पर ही निर्भर करेगा।
अंकिता भंडारी हत्याकांड सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सिस्टम की परीक्षा बन चुका है। हर बार जब नया सवाल सामने आता है, लोगों की उम्मीदें और शंकाएं दोनों बढ़ जाती हैं। अब यह सरकार और जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे पूरी पारदर्शिता के साथ सच्चाई सामने लाएं, ताकि पीड़िता को न्याय और समाज को भरोसा मिल सके।
The Ankita Bhandari murder case has once again become a major political issue in Uttarakhand after a viral video allegedly mentioning VIP involvement. The case has raised serious questions about transparency, justice, and political accountability. Opposition parties are demanding a fair investigation, while the Uttarakhand government maintains that due process is being followed. The Ankita Bhandari case continues to symbolize the public’s demand for justice in high-profile crime cases.



















