AIN NEWS 1 प्रयागराज : बता दें उमेश पाल हत्याकांड की एफआईआर में नामजद होने से अब माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन बहुजन समाज पार्टी के गले की ऐसी फांस बन गई हैं जो ना निकाले बन रही है ना रखे। नगर निकाय चुनाव में बसपा की मेयर प्रत्याशी शाइस्ता को साथ रखने या निष्कासित करने में भी पार्टी को काफ़ी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। बसपा पार्टी अब ऐसे दोराहे पर खड़ी हो गई है, जहां उसके लिए आगे बढ़ने की दिशा का निर्णय लेना ही काफ़ी कठिन हो गया है। चुनाव में जनाधार को मजबूत करने के लिए जनवरी के पहले सप्ताह में ही उन्होने लगाया था गया दांव जो अब बसपा को ही उल्टा पड़ा।तमाम राजनीतिक गुणा-भाग के बाद भी चुनावी फायदे के लिए बसपा ने शाइस्ता परवीन को अपने पाले में किया था यह जानते हुए भी कि वह माफिया अतीक अहमद की पत्नी हैं और अतीक व मायावती पहले से ही दो विपरीत ध्रुव भी समझे जाते रहे हैं।
बीते 10 साल में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बेहद करारी हार का सामना कर चुकी बसपा को आगामी नगर निकाय चुनाव में एक अच्छे प्रदर्शन की चाह है। यही वजह है कि पार्टी ने पांच जनवरी को अपने कट्टर दुश्मन माफिया अतीक अहमद से भी हाथ मिला लिया। यह बात राजनीतिक गलियारों में तो क्या, आम जनता को भी बिलकुल हजम नहीं हुई थी। बावजूद इसके शाइस्ता ने अब बसपा का झंडा थामा और चुनाव प्रचार में भी जुट गईं।बीते 24 फरवरी को सुलेमसरांय में उमेश पाल की हत्या में नामजद होने से ही शाइस्ता परवीन बसपा के गले की अब फांस बन गई हैं। दरअसल, डबल इंजन की सरकार में विपक्ष की कमजोरी ही बसपा को भी लगातार काफ़ी नुकसान पहुंचा रही है। जिससे पार्टी को अपना कैडर वोट भी खिसकता हुआ साफ़ नजर आ रहा है। अब शाइस्ता परवीन के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी पार्टी के पदाधिकारियों को भी बहुत परेशान करने लगी है। वहीं बसपा के लिए यह भी मुसीबत है कि अगर शाइस्ता परवीन को निष्कासित किया जाता है तो उसके मुस्लिम मतदाता फिसल सकते हैं।
बसपा जिलाध्यक्ष टीएन जैसल कहते हैं कि सीधे ही किसी पर भी दोषारोपण नहीं कर सकते। शाइस्ता परवीन के मामले में पार्टी शीर्ष स्तर पर ही निर्णय लेगी। जनाधार कहीं से भी कमजोर नहीं हुआ है, सभी वार्डों में बैठकें अभी जारी हैं। कहा कि शाइस्ता के मामले में बसपा प्रमुख मायावती ट्वीट के जरिए अपनी मंशा को साफ कर चुकी हैं।