अमेरिका में मंदी का आहट
जुलाई-सितंबर में विकास दर बढ़ने के बावजूद खतरा
अगले 6 महीनों में आएगी मंदी
AIN NEWS 1: अगले साल से अमेरिका में मंदी आने की आशंका दिनोदिन तेज होती जा रही है। लेकिन इस मंदी के असर से क्या हो सकता है इसका खुलासा बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट में किया गया है।
BOA के मुताबिक अगले साल की पहली छमाही में अमेरिका मंदी की गिरफ्त में आ सकता है। जिसके बाद हर महीने 1.75 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं। अगले एक साल में अमेरिका में बेरोजगारी दर 5 से 5.5 फीसदी होने का अनुमान है जबकि फेड ने अगले साल बेरोजगारी दर का अनुमान 4.4 फीसदी लगाया है। वहीं सितंबर में अमेरिका में बेरोजगारी दर 3.5 फीसदी पर लुढ़क गई थी जो 1969 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
महंगाई बनेगी मंदी की वजह!
इस बेरोजगारी के बढ़ने की आशंका के पीछे महंगाई को विलेन माना जा रहा है। 4 दशकों की सबसे ज्यादा महंगाई को थामने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व लगातार ब्याज दरों में इजाफा कर रहा है। बढ़ती ब्याज के इस चक्र से केवल अमेरिका ही नहीं दुनियाभर पर असर पड़ता है। निवेशकों के फैसले रातों रात फेड रिजर्व के एक एलान से बदल जाते हैं। ब्याज दरों में बढ़ोतरी से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर होने वाले संभावित असर की बात करें तो बैंक ऑफ अमेरिका का कहना है कि ब्याज दरों में इजाफे का असर 2023 की शुरुआत से दिखाई देने लगेगा। इससे पहली तिमाही में कुल सवा 5 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं। फेड रिजर्व जिस आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है उससे जल्दी ही हर सामान की डिमांड घट सकती है। अक्टूबर-दिसंबर यानी मौजूदा तिमाही में जॉब ग्रोथ घटकर आधी रह सकती है।
2023 की शुरुआत में गैर कृषि क्षेत्रों की नौकरियों पर संकट मंडरा सकता है। यही नहीं ये सिलसिला 2023 में पूरे साल जारी रहने की भी आशंका है यानी करीब 21 लाख लोग 2023 में अपनी नौकरियां गंवा सकते हैं। 2008 जैसे गंभीर हालात नहीं होंगे लेकिन इस बार जॉब मार्केट में हालात 2008 या अप्रैल 2020 जैसे नहीं होंगे। इस बार बेरोजगारी दर साढ़े 5 फीसदी तक पहुंचने की आशंका है।
जबकि अप्रैल 2020 में अमेरिका में बेरोजगारी दर 15 फीसदी पर पहुंच गई थी। अमेरिका में अगर 40 साल की सबसे ज्यादा महंगाई है तो फिर इसे कंट्रोल करने के लिए फेड रिजर्व ने भी ब्याज दरों को बीते चार दशक में सबसे तेजी से बढ़ाया है। फेड रिजर्व के मुताबिक फिलहाल उनका टारगेट महंगाई को कंट्रोल करना है इसके असर से अर्थव्यवस्था के मंदी में आने का जोखिम लेना भी मजबूरी है।