फेड के रुख ने कमजोर किया अमेरिका पर भरोसा
विकसित देशों से पैसा निकलकर विकासशील देशों में आया
मौद्रिक नीति ने बनाया भारत-एशिया को आकर्षक
AIN NEWS 1: बैंकिंग संकट ने अमेरिका की इकोनॉमी को हिलाकर रखा दिया है. इस बैंकिंग संकट की वजह सिलिकॉन वैली बैंक बंद हो गया है. वहीं सिग्नेचर और फर्स्ट रिपब्लिक बैंक पर भी दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है. यही नहीं संकट के ये बादल अमेरिका के 189 बैंकों पर मंडरा रहे हैं. लेकिन इस मुश्किल का भारत और एशियाई बाजारों को फायदा मिलना शुरु हो गया है. इसकी वजह है कि निवेशकों का भरोसा अब अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों पर घट रहा है. वहीं भारतीय और एशियाई बाजारों पर निवेशकों को अब ज्यादा यकीन हो रहा है. निवेशकों को लग रहा है कि चीन और भारत जैसे बाजार संकट से निपटने में ज्यादा बेहतर और सक्षम हैं.
फेड के रुख ने कमजोर किया अमेरिका पर भरोसा
अमेरिका के फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रुख भी निवेशकों का भरोसा कमजोर होने की वजह बन रहा है. ग्लोबल वित्तीय स्थित पर सिटीबैंक के एक विश्लेषण के मुताबिक एशियाई बाजारों में अमेरिका के मुकाबले मॉनेटरी पॉलिसी नरम है. वहीं ज्यादातर एशियाई मुद्राएं भी डॉलर के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. इससे एशियाई बाजारों के शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है और वैश्विक संकट के बावजूद भारतीय बाजारों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
विकसित देशों से पैसा निकलकर विकासशील देशों में आया
अगर आंकड़ों को देखें तो मार्च के दौरान एशियाई बाजारों में 5.5 अरब डॉलर का निवेश आया है. जबकि विकसित देशों से 8.6 अरब डॉलर की रकम निकाली गई है. पैसा निकालने की इस होड़ में भी अमेरिकी बाजारों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही है. अगर एशियाई बाजार का मुकाबला अमेरिका के बाजारों से करें तो अमेरिकन बैंकिंग इंडेक्स मार्च के पहले हफ्ते के बाद से अबतक 10 फीसदी तक लुढ़क चुका है. वहीं जापान को छोड़कर बाकी एशियाई क्षेत्र के वित्तीय सूचकांक में तेजी देखने को मिली है.
मौद्रिक नीति ने बनाया भारत-एशिया को आकर्षक
एशियाई बाजारों पर निवेशकों के बढ़ते भरोसे को एशियाई बाजार की नरम नीतियों से बढ़ावा मिल रहा है. भारत के सेंट्रल बैंक RBI समेत एशिया के ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंक अपनी नीतियों को नरम बना रहे हैं. भारत के अलावा चीन ने भी अपनी मौद्रिक नीतियों को आकर्षक बनाया है. इससे निवेशकों को एशियाई बाजार ज्यादा मुनाफे का सौदा नजर आ रहे हैं. वहीं अमेरिका और यूरोप के बाजारों में जारी संकट भी एशियाई बाजारों को निवेशकों की पहली पसंद बनाता जा रहा है.