AIN NEWS 1: फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बड़े आतंकी षड्यंत्र का केंद्र बनने की वजह से सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर आ गई है। जांच में सामने आया है कि विश्वविद्यालय का बिल्डिंग नंबर 17, जहां छात्र आमतौर पर पढ़ाई और रिसर्च के लिए आते-जाते हैं, आतंकियों की गुप्त मीटिंग का स्थान बन गया था। इस बिल्डिंग के कमरा नंबर 13 में बैठकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हुए धमाकों तथा आगे की साजिशों की प्लानिंग की गई थी।
इस खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया, क्योंकि किसी शैक्षणिक संस्थान का इस तरह आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होना बेहद गंभीर खतरे का संकेत है।
कौन थे इस साजिश के मास्टरमाइंड?
जांच एजेंसियों ने जिन तीन संदिग्धों की भूमिका सबसे अधिक गंभीर पाई है, उनमें प्रमुख नाम हैं:
डॉ. मुजम्मिल — पुलवामा का निवासी
शाहीन शाहिद
उमर उन नबी
ये तीनों यूनिवर्सिटी से जुड़े होने के कारण कैंपस के अंदर आसानी से घूमते थे। बताया जा रहा है कि इन्होंने यूनिवर्सिटी की लैबोरेटरी का गलत इस्तेमाल कर धमाके के लिए जरूरी रसायन इकट्ठा किए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैंपस की लैब में मौजूद ऐसी कई रासायनिक सामग्री तक इन लोगों की पहुंच थी, जिन्हें सामान्य तौर पर रिसर्च या प्रैक्टिकल कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। इसी सुविधा का फायदा उठाकर इन लोगों ने विस्फोटक तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाए।
यूनिवर्सिटी लैब से जुटाए गए रसायन
जांच में यह बात साफ हो चुकी है कि आतंकी मॉड्यूल ने ब्लास्ट में उपयोग होने वाली कई केमिकल सामग्रियों की खरीदारी बाहरी बाजार से करने की बजाय यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला से हासिल की।
यह पहलू जांच को और भी गंभीर बनाता है, क्योंकि किसी शैक्षणिक संस्थान की लैब का इस प्रकार दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
लखनऊ कनेक्शन ने बढ़ाई चिंता
दिल्ली और यूपी ब्लास्ट से जुड़े इस नेटवर्क में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है — लखनऊ कनेक्शन।
जांच अधिकारियों के अनुसार:
लखनऊ
अयोध्या
और यूपी के कुछ अन्य संवेदनशील शहर
इन सब जगहों पर धमाकों की प्लानिंग पहले ही तैयार की जा चुकी थी। यह भी जानकारी मिली है कि संदिग्ध कई बार लखनऊ आए-जाए थे और शहर में कई महत्वपूर्ण स्थानों का रैकी भी की गई थी।
अयोध्या जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले शहर को भी निशाने पर रखना कहीं अधिक गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है।
दिल्ली और यूपी में पहले हुए धमाकों से लिंक
दिल्ली और यूपी में हाल ही में हुए धमाकों के बाद सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही अलर्ट पर थीं। जब जांच की परतें खुलीं, तो पता चला कि इनकी प्लानिंग में अल-फलाह यूनिवर्सिटी का कनेक्शन है।
कमरा नंबर 13 वह जगह था जहां बैठकर मॉड्यूल ने विस्तार से ब्लास्ट की रणनीति बनाई। कई डिजिटल डिवाइसेज़, नोट्स और संदिग्ध बातचीत के सुराग भी मिल चुके हैं।
कैसे चला पता—अंदर की कहानी
जांच एजेंसियों को यह सूचना एक गुप्त स्रोत से मिली थी कि यूनिवर्सिटी के अंदर कुछ छात्र संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हैं।
इसके बाद:
कैंपस में कई दिनों तक खुफिया निगरानी रखी गई
संदिग्ध व्यक्तियों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) जांची गई
कैंपस के प्रवेश और निकास के वीडियो स्कैन किए गए
कुछ छात्रों और स्टाफ से पूछताछ की गई
इन सभी प्रयासों के बाद यह स्पष्ट हुआ कि बिल्डिंग 17, विशेष रूप से कमरा नंबर 13, इस पूरे नेटवर्क का केंद्र था।
जांच एजेंसियां सक्रिय, कई गिरफ्तारियाँ संभव
फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां कई सबूतों को खंगाल रही हैं:
लैब में उपयोग किए गए केमिकल
लैपटॉप और मोबाइल से मिली डिजिटल फाइलें
सीसीटीवी फुटेज
यूनिवर्सिटी के कई छात्रों की गतिविधियाँ
संदिग्ध यात्राओं का रिकॉर्ड
जल्द ही इस मॉड्यूल से जुड़े और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।
इसके अलावा जांच टीम यूनिवर्सिटी प्रबंधन से भी पूछताछ कर रही है कि आखिर इतने संवेदनशील रसायनों तक बिना निगरानी किसी की पहुंच कैसे बन गई।
शिक्षण संस्थानों के दुरुपयोग पर बड़ी चिंता
इस घटना के बाद सरकार और सुरक्षा विभाग में एक और चिंता सामने आई है—क्या अन्य संस्थानों में भी इस तरह की गतिविधियां छुपकर हो रही होंगी?
क्योंकि:
कैंपस के अंदर लोग आसानी से इकट्ठा हो जाते हैं
लैब में रसायन उपलब्ध होते हैं
विद्यार्थियों का आना-जाना स्वाभाविक लगता है
जांच एजेंसियां भी विश्वविद्यालय कैंपसों को आमतौर पर संदेह की नजर से नहीं देखतीं
इसका फायदा उठाकर आतंकी नेटवर्क शिक्षा संस्थानों को अपने लिए “सुरक्षित जगह” के रूप में देखने लगे हैं।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम इस तरह सामने आना पूरे क्षेत्र के लिए चेतावनी है। यह घटना बताती है कि आतंकियों की सोच अब सिर्फ सीमा पार या छुपी हुई लोकेशनों तक सीमित नहीं है — वे अब शिक्षा, तकनीक और रिसर्च वाले खुले वातावरण का भी दुरुपयोग कर रहे हैं।
जांच जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।
The investigation into the Delhi blast and UP blast conspiracy has revealed that Building 17 of Al-Falah University in Faridabad served as a major terror meeting point. Suspects used the university laboratory to procure chemicals and planned attacks in Delhi, Lucknow, Ayodhya, and other sensitive cities. This discovery exposes a disturbing trend of terror modules misusing educational institutions in India and highlights the urgent need for stronger campus security and monitoring.



















