AIN NEWS 1: दिल्ली नगर निगम (MCD) के मेयर चुनाव को लेकर जो भी बवाल मचा हुआ है. एमसीडी के मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव शुक्रवार (6 जनवरी) को होना तय था, लेकिन एमसीडी की बैठक में हुए एक बड़े हंगामे के बाद ये चुनाव अभी नहीं हो पाया. आख़िर एमसीडी मेयर चुनाव को लेकर इतना हंगामा आख़िर क्यों हो रहा है, इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) की भूमिका पर आम आदमी पार्टी क्यों इतने सवाल उठा रही है, हम इन पांच बातों में आपको समझाने की कोशिश करते है .
1. एमसीडी मेयर का पद कोई छोटा-मोटा पद तो नहीं है. एमसीडी के मेयर के पास कई प्रकार की ताकत होती है. ये भी कह सकते हैं कि एमसीडी के मेयर के पास एक प्रकार से दिल्ली के मुख्यमंत्री से भी ज्यादा शक्तियां होती हैं. इसलिए यह सारा खेल अब अपनी अपनी ताकत का हो गया है. पहले हम आपको बताते हैं कि एमसीडी मेयर कैसे इतने पावरफुल होते हैं. दरअसल, एमसीडी मेयर नगर निगम के अधिकार से जुड़े कोई भी फैसला लेने के लिए बिलकुल स्वतंत्र हैं. साथ ही उन्हें किसी भी फैसले के लिए अपनी फाइल दिल्ली के एलजी या केंद्र के पास भेजने की अनिवार्यता नहीं है जबकि सीएम को भी फाइल भेजनी होती है . मेयर निगम के किसी भी अधिकारी और कर्मचारी का तबादला अपने आप कर सकते हैं.
2. बता दें वैसे तो किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री ही क्षेत्र का प्रशासक होता है, लेकिन दिल्ली के मामले में यह कहानी थोड़ी सी अलग है. देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली में मुख्यमंत्री के पास इतने ज्यादा अधिकार नहीं हैं. मुख्यमंत्री को सभी फैसलों की फाइल एलजी के पास भेजना अनिवार्य होती है. इसके अलावा इन फैसलों को मानने के लिए उपराज्यपाल बिलकुल बाध्य नहीं हैं. दिल्ली के सीएम सरकार के अधीन आने वाले कर्मचारियों का तबादला भी नहीं कर सकते, वह केवल सरकार से जुड़े फैसले ले सकते हैं, लेकिन एलजी की मंजूरी लेनी उनको जरूरी है. सभी फाइलों की मंजूरी के लिए केंद्र और एलजी के पास भेजना भी अनिवार्य है. मेयर और मुख्यमंत्री की ताकतों की तुलना करने से ये तो समझना अब आसान हो गया है कि मेयर पद को लेकर बवाल आख़िर क्यों मचा है. बीजेपी और आप दोनों ही एमसीडी में अपना मेयर केवल अपनी ताकत को बनाएं रखने के लिए ही चाहते हैं. अगर आम आदमी पार्टी का मेयर बन जाता है तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल काफ़ी पावरफुल हो जाएंगे. वहीं अगर बीजेपी का मेयर बन गया तो ऐसे में टकराव और ज्यादा बढ़ेगा. क्योंकि मेयर सरकार के आदेश मानने के लिए बाध्य नहीं है. ऐसी स्थिति में सीएम कम शक्तिशाली होंगे.
3. अब आपको ये भी बताते हैं कि इस चुनाव में दिल्ली के एलजी की आख़िर क्या भूमिका है और आप व एलजी में टकराव आख़िर क्यों हुआ. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मेयर के चुनाव के लिए बीजेपी पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी के रूप में नामित किया था. नियुक्ति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर अपना आरोप लगाया कि वह सभी लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थानों को पूरी तरह से नष्ट करने पर उतारू हैं. दरअसल, उपराज्यपाल ने दिल्ली की आप सरकार की ओर से भेजे गए मुकेश गोयल के नाम की जगह बीजेपी पार्षद को प्रोटेम स्पीकर बना दिया था. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी पर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होने का भी गम्भीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल एमसीडी मेयर चुनाव को प्रभावित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और जान-बूझकर ऐसे सदस्यों को चुन रही हैं, जिससे पक्षपातपूर्ण तरीके से अधिक पार्षद बीजेपी की ओर मुड़ जाएं.
4. उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से नियुक्त 10 ‘एल्डरमैन’ (मनोनीत पार्षद) को पहले शपथ दिलाने को लेकर आम आदमी पार्टी के पार्षदों के तीखे विरोध के बीच नवनिर्वाचित दिल्ली नगर निगम की पहली बैठक शुक्रवार को महापौर और उप महापौर के चुनाव कराएं बिना ही स्थगित कर दी गई थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 आर के तहत एमसीडी सदन में मनोनीत सदस्यों के मतदान करने पर पूरी तरह रोक है और ऐसे में उनसे मत डलवाने का प्रयास करना असंवैधानिक है. आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि मनोनीत सदस्य एमसीडी सदन में कभी मतदान नहीं करते. उन्होंने आरोप लगाया कि न तो महापौर चुनाव में और न ही उप महापौर चुनाव में. उन्हें स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में भी वोट डालने की अनुमति भी नहीं है. बीजेपी गलत तरीकों से अपने वोटों की संख्या बढ़ाने की पुर जोर कोशिश कर रही है.
5. मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाने को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के सदस्य आपस में ही भिड़ गए थे. एक दूसरे पर कुर्सियां भी फेंकीं और धक्कामुक्की की. इस वजह से सदन की बैठक को महापौर और उपमहापौर का चुनाव कराए बिना ही स्थगित कर दिया गया था. बता दें आप ने पिछले साल दिसंबर में हुए एमसीडी चुनाव में 134 वार्ड में अपनी जीत दर्ज कर एमसीडी में बीजेपी के 15 साल पुराने शासन का अंत तो कर दिया था. जबकि बीजेपी चुनाव में 104 वार्ड में विजयी रही थी. बाद में, मुंडका के निर्दलीय पार्षद गजेंद्र दराल बीजेपी में शामिल हो गए थे. मेयर चुनावों में कुल वोट 274 हैं. संख्या बल आम आदमी पार्टी के पक्ष में है, जिसके पास मुकाबले 150 वोट हैं, जबकि बीजेपी के 113 मत हैं. एमसीडी में 250 निर्वाचित पार्षद शामिल हैं. दिल्ली में बीजेपी के सात लोकसभा सांसद और आप के तीन राज्यसभा सदस्य व दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से नामित 14 विधायक भी महापौर और उप महापौर पद के लिए होने वाले चुनावों में हिस्सा लेंगे. नौ पार्षदों वाली कांग्रेस ने मतदान में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है.