AIN NEWS 1: सपा विधायक अब्दुल्ला आज़म को उत्तर प्रदेश विधानसभा की अपनी सदस्यता खोने की आशंका का काफ़ी क़रीब से सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को एक विशेष अदालत ने उन्हें और उनके पिता समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान को 15 साल पुराने एक मामले में अपना फैसला सुनाते हुए दो साल की कैद की सजा सुनाई थी। इस केस में उन्हें ट्रैफिक को रोकने के लिए बुक किया गया था। मुरादाबाद में चेकिंग के लिए उनकी गाड़ी को पुलिस के रोकने पर उन्होंने काफ़ी ज्यादा हंगामा कर दिया था।
जाने क्या है अब्दुल्ला आजम का पूरा मामला
रामपुर जिले में सीआरपीएफ कैंप पर 1 जनवरी, 2008 को ही एक आतंकी हमला हुआ था। इसमें सात जवानों और एक रिक्शा चालक की मौके पर ही जान चली गई थी। जिस घटना के लिए दोनों नेताओं के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था यह घटना इस आतंकी हमले के एक दिन बाद हुई थी। अब्दुल्ला आजम रामपुर के स्वार से विधायक हैं। सोमवार को अब्दुल्ला आजम और उनके पिता आजम खान मुरादाबाद में विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश हुए थे।
जाने विंडो पर काली फिल्म, दस्तावेज नदारद और सड़क जाम
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामला 2 जनवरी, 2008 का ही है। उस दिन एक कार में अब्दुल्ला आजम और उनके पिता आजम खान यात्रा कर रहे थे। मुरादाबाद जिले के छजलेट थाना क्षेत्र में उसकी गाड़ी की खिड़कियों पर काली फिल्म लगी होने के कारण पुलिस ने उन्हे रोका था।अभियोजन पक्ष ने कहा कि कार चला रहे अब्दुल्ला आज़म पुलिस द्वारा ऐसा करने के लिए कहे जाने के बावजूद भी वाहन के दस्तावेज़ मौके पर पेश करने में विफल रहे। अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि इसके बाद उन्होंने पुलिस के साथ बहस भी की। इसके बाद कार में पीछे बैठे आजम खान भी बाहर निकल आए, जिससे विवाद और ज्यादा बढ़ गया। अभियोजन पक्ष ने कहा कि इसके बाद सपा के कई और सदस्य मौके पर पहुंचे और सड़क जाम करते हुए पुलिस के खिलाफ ही उन्होने प्रदर्शन किया।
जाने जिला सरकारी वकील ने क्या कहा
मुरादाबाद जिला सरकारी वकील (DGC) नितिन गुप्ता ने कहा, “अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्मिता गोस्वामी ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को इस मामले मे अपना फैसला सुनाते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई। उन पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। बाद में आजम खान और उनके बेटे ने जमानत याचिका दायर की, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। जरूरी ज़मानत जमा करने के बाद उन्हें रिहा भी कर दिया गया।” गुप्ता ने कहा कि अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना) और 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के तहत ही दोषी ठहराया। एक अन्य सरकारी वकील मोहनलाल विश्नोई ने कहा कि मामले के सात अन्य आरोपियों को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी भी कर दिया गया। इनमें अमरोहा से सपा विधायक महबूब अली और पूर्व विधायक हकी इकराम कुरैशी और नईम-उल-हसन भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अदालत ने कुल आठ अभियोजन पक्ष और 17 बचाव पक्ष के गवाहों का परीक्षण किया।
जाने लगातार दूसरे मामले में दोषी साबित हुए आजम खान
संयोग से यह दूसरा मामला है जिसमें यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान को ही दोषी ठहराया गया है। पिछले साल अक्टूबर में, उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दर्ज किए गए एक अभद्र भाषा के मामले में भी तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। फैसले के बाद उनके प्रतिनिधित्व वाली रामपुर विधानसभा सीट खाली घोषित कर दी गई। यूपी पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार, 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही आजम खान के खिलाफ 83 और अब्दुल्ला आजम के खिलाफ 41 मामले दर्ज किए गए हैं। भूमि हड़पने, धोखाधड़ी और आपराधिक अतिचार सहित विभिन्न आरोपों में ये मामले दर्ज किए गए हैं।
जाने 2022 में गई थी खतौली विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता
इससे पहले पिछले साल नवंबर में मुजफ्फरनगर की एक स्थानीय अदालत द्वारा 2013 के दंगों से जुड़े एक मामले में दो साल की कैद की सजा सुनाए जाने के बाद भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने भी अपनी विधायकी खो दी थी। सजा के बाद सैनी का निर्वाचन क्षेत्र खतौली खाली घोषित कर दिया गया था।