इलाज की रिसर्च पर खर्च बढ़ाने की मांग
संसदीय समिति की रिपोर्ट में सिफारिश
हेल्थवर्कर्स की क्वालिटी सुधारने की मांग
AIN NEWS 1: देश की हेल्थकेयर इंडस्ट्री का कोरोना काल में कड़ा इम्तिहान हुआ था। इसके बाद से इसमें सुधार के लिए लगातार कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन अब एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थ सेक्टर में रिसर्च के लिए किया जा रहा निवेश नाकाफी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में हेल्थ रिसर्च डिपार्टमेंट को कुल हेल्थ बजट का 3.71 फीसदी और 2023-24 में कुल हेल्थ बजट का 3.34 फीसदी आंवटन हुआ है। जबकि इसे घटाने की जगह कुल हेल्थ बजट के 5 परसेंट के बराबर किए जाने की ज़रुरत है। वहीं इसे GDP के 0.1 फीसदी के बराबर किए जाने की सिफारिश की गई है।
इलाज की रिसर्च पर खर्च बढ़ाने की मांग
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस कम बजट की वजह से हेल्थ रिसर्च की तरक्की की रफ्तार धीमी है। संसदीय समिति के अलावा हेल्थ सेक्टर की धीमी रफ्तार के लिए उद्योग संगठन एसोचैम ने भी क्वालिटी वर्कफोर्स की कमी को जिम्मेदार बताया है। एसोचैम की इलेनस टू वेलनेस समिट ने हेल्थ सेक्टर के साथ साथ भारत की आर्थिक तरक्की के लिए हेल्थकेयर वर्कफोर्स को कुंजी करार दिया है। एसोचैम की इलनेस टू वेलनेस सीरीज में सुझाव दिया गया है कि नर्सिंग स्टाफ पर खास ध्यान देते हुए हेल्थकेयर वर्कर्स की क्वालिटी को मजबूत बनाया जाए। महिलाओं के स्वास्थय पर खास ध्यान देने से समाज और देश की ग्रोथ होगी। इलनेस टू वेलनेस के सफर को सफलता के साथ पूरा करने के लिए आधुनिक और पारंपरिक दवाओं से इलाज का तालमेल किया जाए।
संसदीय समिति की रिपोर्ट में सिफारिश
जानकारों का मानना है कि अगर भारत को दुनिया का दवाखाना बने रहना है और मेडिकल टूरिज्म समेत हेल्थ सेक्टर को नई बुलंदियों पर ले जाना है तो फिर इस सेक्टर की समस्याओं का जल्द समाधान किया जाना ज़रुरी है। अब देखना यही है कि संसदीय समिति से लेकर उद्योग जगत तक की सिफारिशों पर सरकार क्या रुख अपनाती है जिससे देश और देश के लोगों की सेहत में सुधार किया जा सके।