AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूल शिक्षा को अधिक व्यावहारिक और ज्ञानवर्धक बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। राज्य सरकार की ओर से जारी नए निर्देश के अनुसार अब प्रदेश के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त (माध्यमिक) स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के बाद अखबार पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है। इस फैसले का उद्देश्य छात्रों में पढ़ने की आदत विकसित करना, समसामयिक घटनाओं की जानकारी देना और उनकी भाषा क्षमता को मजबूत बनाना है।
📌 क्या है नया नियम?
शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि स्कूलों में रोजाना होने वाली प्रार्थना सभा के तुरंत बाद छात्रों को अखबार पढ़ने का समय दिया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय समाचारों को शामिल किया जाएगा। शिक्षक छात्रों को महत्वपूर्ण खबरें समझाएंगे और जरूरत पड़ने पर उन पर चर्चा भी कराई जाएगी।
यह नियम प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और इंटर कॉलेज स्तर के सरकारी स्कूलों में लागू किया गया है। कई जगहों पर इसे चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा रहा है।
📰 अखबार पढ़ने से छात्रों को क्या फायदा?
विशेषज्ञों और शिक्षकों का मानना है कि अखबार पढ़ने की आदत छात्रों के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभा सकती है।
इसके प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
सामान्य ज्ञान में वृद्धि
छात्रों को देश-दुनिया की ताजा घटनाओं की जानकारी मिलेगी।
भाषा और शब्दावली में सुधार
हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं की समझ बेहतर होगी।
सोचने और समझने की क्षमता बढ़ेगी
खबरों पर चर्चा से तार्किक सोच विकसित होगी।
आत्मविश्वास में बढ़ोतरी
छात्र मंच पर बोलने और अपनी राय रखने में सक्षम बनेंगे।
डिजिटल अफवाहों से दूरी
प्रामाणिक समाचार स्रोतों से जानकारी मिलने से गलत सूचनाओं से बचाव होगा।
👩🏫 शिक्षकों की क्या होगी भूमिका?
नए नियम के तहत शिक्षकों को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। शिक्षक न केवल छात्रों को अखबार पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे, बल्कि उन्हें यह भी सिखाएंगे कि किस खबर को कैसे समझना है।
कुछ स्कूलों में शिक्षक छात्रों से सवाल पूछेंगे, तो कहीं समूह चर्चा कराई जाएगी। इससे कक्षा का माहौल ज्यादा जीवंत और संवादात्मक बनेगा।
🏫 स्कूलों में कैसे होगा इसका पालन?
सरकारी निर्देशों के अनुसार:
स्कूल में कम से कम एक या दो अखबार उपलब्ध कराए जाएंगे।
छात्रों को बारी-बारी से खबरें पढ़ने का अवसर मिलेगा।
महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय खबरों को प्राथमिकता दी जाएगी।
सप्ताह में एक-दो दिन करेंट अफेयर्स आधारित चर्चा कराई जा सकती है।
ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में भी इसे लागू करने के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है।
📚 अभिभावकों की प्रतिक्रिया
इस फैसले को लेकर अभिभावकों की प्रतिक्रिया भी काफी सकारात्मक सामने आ रही है। कई माता-पिता का कहना है कि आज के समय में बच्चे मोबाइल और सोशल मीडिया तक सीमित हो गए हैं, ऐसे में अखबार पढ़ने की आदत उन्हें वास्तविक दुनिया से जोड़ेगी।
कुछ अभिभावकों का मानना है कि इससे बच्चों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का आधार भी मजबूत होगा।
⚖️ क्या कोई चुनौती भी है?
हालांकि यह फैसला सराहनीय है, लेकिन इसके सामने कुछ व्यावहारिक चुनौतियां भी हैं:
सभी स्कूलों में अखबार की नियमित उपलब्धता
समय प्रबंधन की समस्या
छोटे बच्चों के लिए खबरों की भाषा समझना
हालांकि शिक्षा विभाग का कहना है कि इन चुनौतियों को शिक्षकों की मदद और सरल व्याख्या के जरिए दूर किया जाएगा।
🎯 सरकार का उद्देश्य क्या है?
उत्तर प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य छात्रों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर व्यावहारिक और जागरूक नागरिक बनाना है। यह पहल नई शिक्षा नीति (NEP) की भावना के अनुरूप मानी जा रही है, जिसमें समग्र शिक्षा पर जोर दिया गया है।
सरकार का मानना है कि यदि छात्र बचपन से ही समाचार पढ़ने और समझने की आदत डालेंगे, तो वे भविष्य में अधिक जिम्मेदार और समझदार नागरिक बनेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह नया नियम शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। प्रार्थना के बाद अखबार पढ़ने की यह पहल छात्रों के ज्ञान, सोच और व्यक्तित्व को निखारने में मददगार साबित हो सकती है।
यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह कदम आने वाले वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
The Uttar Pradesh government has introduced a new education policy making newspaper reading mandatory in government and aided schools after morning prayer. This initiative aims to improve students’ reading habits, general knowledge, and awareness of current affairs. The new school education rule in UP focuses on holistic learning, critical thinking, and language development, aligning with modern education reforms.



















