Sunday, December 22, 2024

उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे खाली हाथ रह गए, दोनों में से किसी को नहीं मिला शिवसेना का धनुष-बाण निशान। जानिए अब आगे क्या होगा?

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  1. शिवसेना का चुनाव चिह्न धनुष-बाण किसी को नहीं मिला
  2. चुनाव आयोग ने अंधेरी उपचुनाव के लिए दिया फैसला
  3. ठाकरे और एकनाथ गुट में जारी थी निशान के लिए लड़ाई

 

AIN NEWS 1 । आखिर किसकी है शिवसेना? इस सवाल पर एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट की रस्साकशी रुकी नहीं है। चुनाव आयोग (ECI) ने शनिवार को पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ को फिलहाल किसी गुट को नहीं सौंपा है। ऐसे में चुनाव आयोग के फैसले पर दोनों ही गुट प्रतिक्रियाएं रहे हैं। एक तरफ उद्धव समर्थक इसे ‘अन्याय’ बता रहे हैं वहीं, शिंदे गुट ने भी आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने की तैयारी कर ली है। चुनाव आयोग की तरफ से अंतरिम आदेश मुंबई के अंधेरी पूर्व में उपचुनाव से ठीक पहले आया है। शनिवार को चुनाव आयोग ने अंतरिम आदेश जारी करके दोनों गुटों से शिवसेना का नाम और चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार छीन लिया।

 

चुनाव आयोग पर बिफरे दोनों गुटों के नेत

पूर्व लोकसभा सांसद और शिवसेना नेता चंद्रकांत खैरे ने हैरानी जाहिर की है और चुनाव आयोग के तार राजनीतिक मकसद से जोड़े हैं। शिवसेना के लोकसभा सांसद अरविंद सावंत ने भी आरोप लगाए हैं कि उद्धव और शिंदे कैंप की याचिका में से किसी पर भी जरूरी विचार नहीं किया गया। उन्होंने आयोग पर सवाल उठाए और कहा कि हमने शनिवार को चुनाव आयोग के सामने जवाब दाखिल कर दिया था और सुबह को जवाब देने के बाद शाम तक नाम और चिह्न को फ्रीज करने का आदेश भी जारी हो गया जो हैरान करने वाला फैसला है। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अम्बादास दानवे ने कहा कि चुनाव आयोग को उपचुनाव के लिए अंतरिम आदेश जारी करने की जगह पर समेकित फैसला लेना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘यह अन्याय है।’ शिवसेना के नेता व पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने चुनाव आयोग के आदेश के बाद शिंदे गुट पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया, ‘खोखेवाले गद्दारों के शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह फ्रीज कराने की हरकत शर्मनाक है।’ उन्होंने कहा, ‘हम लड़ेंगे और जीतेंगे। हम सच के साथ हैं। सत्यमेव जयते!’

 

शिंदे कैंप भी सक्रियता के साथ जुटा

पार्टी का नाम और चिह्न मिलने की आस में बैठे शिंदे गुट को भी आयोग के फैसले से झटका लगा है। शनिवार को शिंदे कैंप ने कहा कि वे कानूनी सलाह लेंगे। दोनों पक्षों ने रविवार को समर्थकों की बैठक बुलाई है। स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कहा, ‘हम बालासाहब की असली शिवसेना हैं और हमारा दावा धनुष-बाण चिह्न पर है। हम चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखेंगे और हमें भरोसा है कि न्याय मिलेगा।’ उन्होंने दावा किया है कि 70 फीसदी ज्यादा शिवसैनिक शिंदे के साथ हैं।

 

अब आगे क्या होगा

चुनाव आयोग की तरफ से अंतरिम आदेश आने के बाद अब दोनों पक्ष शिवसेना का नाम और चिह्न इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। हालांकि, दोनों गुटों के पास आयोग से नया चिह्न लेने का विकल्प मौजूद है। आयोग ने उन्हें चुनाव चिह्न के लिए विकल्प मुहैया कराए हैं। सोमवार दोपहर एक बजे तक दोनों गुटों को अपनी पसंद के तीन नाम और चिह्न भेजने होंगे।

 

दोनों पक्षों की बैठक आज

रविवार को दोपहर 12 बजे उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना बैठक करने जा रही है। वहीं, सीएम शिंदे अपने समर्थकों के साथ शाम 7 बजे मंथन करेंगे।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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