Ainnews1.com नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की उन्नाव रेप पीड़िता को सुप्रीम कोर्ट से एक बहुत बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता के ही खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को चुनौती देने के मामले को दिल्ली मे ट्रांसफर कर दिया. दरअसल, अब उन्नाव रेप पीड़िता पर स्कूल की फर्जी टीसी दिखाकर रेप के समय खुद को नाबालिग साबित करने के आरोप में उन्नाव कोर्ट में जारी एक सुनवाई में कुलदीप सेंगर के वकील ने मुकदमे में फर्जी दस्तावेज को तैयार कर फंसाने का आरोप लगाया था.इसी सिलसिले में कोर्ट ने पहले रेप पीड़िता के खिलाफ ही जमानती वारंट जारी किया था. मगर 3 जुलाई को कोर्ट में पीड़िता के हाजिर न होने पर गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया. इसके बाद रेप पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में गैर-जमानती वारंट के खिलाफ याचिका दाखिल की थी, जिसमें मामले के ट्रायल को दिल्ली मे ट्रांसफर कराने की मांग की गई थी. इसके साथ ही याचिका में पीड़ता के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट पर रोक भी लगाने की मांग की गई है.
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को राहत देते हुए मामले को दिल्ली ट्रांसफर तो कर दिया है.बता दें कि चर्चित माखी कांड में साल 2017 में कुलदीप सिंह सेंगर पर अपहरण और रेप का आरोप लगा था. जिस वक्त यह घटना हुई थी उस वक्त महिला की उम्र नाबालिग थी. उम्र का सबूत देने के लिए महिला ने उस समय स्कूल की टीसी कोर्ट में दिखाया था. इसी टीसी के जरिए उसने साबित किया कि रेप के समय उसकी उम्र 18 साल से कम ही थी, लेकिन आरोपी पक्ष के वकील ने टीसी को फर्जी तरह से तैयार करने का कोर्ट में दावा पेस किया था.याचिका में क्या कहा है शीर्ष अदालत में दायर की गई स्थानांतरण याचिका में आरोप लगाया गया है कि पीड़ित लड़की के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में बचाव पक्ष को आगे बढ़ाने के उल्टे मकसद से उन्नाव अदालत में ‘जवाबी न्यायिक कार्यवाही’ शुरू की गई है. दोषसिद्धि और उम्रकैद के खिलाफ सेंगर की अपील दिल्ली हाईकोर्ट में अभी लंबित है, जिसने हाल ही में सीबीआई से जवाब भी मांगा गया था. ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को आईपीसी की धारा 376 (2) सहित विभिन्न प्रावधानों के तहत ही दोषी ठहराया था, जो केवल एक लोक सेवक से संबंधित है और अपनी आधिकारिक स्थिति का लाभ भी उठाता है.अदालत ने उसे आजीवन कारावास की अधिकतम सजा सुनाई थी, जिसमें कहा गया था कि दोषी ‘अपने प्राकृतिक जैविक जीवन के शेष’ के लिए जेल में ही रहेगा. उस पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी उस समय लगाया गया था. 5 अगस्त, 2019 को शुरू हुए मुकदमे को उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित भी कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे गए बलात्कार पीड़िता के पत्र का संज्ञान लिया था. एक अगस्त, 2019 को उन्नाव बलात्कार की घटना के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को लखनऊ की एक अदालत से दिल्ली की अदालत में दैनिक सुनवाई करने और 45 दिनों के भीतर परीक्षण पूरा करने के सख्त निर्देश के साथ स्थानांतरित कर दिया था.