उमरिया :घूसखोर मैडम का था फुलप्रूफ सिस्टम, उनके चैंबर में किसी की भी फोन के साथ नहीं थी एंट्री; एक शराब ठेकेदार से कुल 80 हजार लेती थी लेडी अफसर!

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AIN NEWS 1: उमरिया की ही जिला आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता को लोकायुक्त पुलिस ने पूरे 1.20 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए मंगलवार को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। उनकी यहां पर ये पहली ही पोस्टिंग थी। ओर इन मैडम ने यहां पर रिश्वत लेने का एक ऐसा सिस्टम बनाया था कि शराब ठेकेदार इनसे काफ़ी ज्यादा तंग आ गए थे। इन मैडम को रिश्वत लेते हुए पकड़ पाना भी इतना आसान बिलकुल नहीं था। उन्होंने किसी भी प्रकार के ट्रैप से बचने के पूरे बंदोबस्त कर रखे थे। किसी भी प्रकार के मोबाइल फोन या किसी भी प्रकार का कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ वो अपने चैंबर में किसी को भी एंट्री नहीं देती थी। यहां पर कुल 9 शराब ठेकेदार काम करते हैं। ओर ये मैडम हर ठेकेदार से ही 80 हजार रुपए महीने लेती थी।

जान ले आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता दो लेवल पर यह रिश्वत लेती थीं। पहली होती थी वीआईपी और दूसरी पर्सनल होती थी। वीआईपी से इनका आशय था ऊपर के अफसरों तक पहुंचाने वाली जो रकम और पर्सनल यानी इनके खुद के हिस्से में आने वाली रकम । इसके भी अलग अलग रेट तय थे। एक शराब दुकान से कुल 30 हजार रुपए महीने का टारगेट वीआईपी के लिए था। लेकीन मैडम अपने हिस्से के कुल 50 हजार रुपए लेती थीं। मैडम को दी गई तारीख पर ही यह रिश्वत की रकम पहुंचाना बहुत जरूरी होता था। जिसने भी इसमें किसी भी प्रकार की आनकानी या देरी की उनके खिलाफ कठौर लीगल एक्शन लेती थीं।शराब ठेकेदारों से पूरी बातचीत ही मैडम वाट्सएप कॉल पर किया करती थीं। शराब ठेकेदारों को उन्होंने बिलकुल साफ कह रखा था कि सिस्टम में रहो तो सब कुछ यू ही ठीक ठाक चलता रहेगा। ओर अगर किसी ने इस सिस्टम को ब्रेक करने की कोशिश की तो उसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ेगा। लेकीन 29 अगस्त को मैडम अपने दफ्तर में ही रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार की गईं, उस दिन भी रिश्वत देने पहुंचे शराब ठेकेदार से भी मैडम ने उनका फोन अपने ड्राइवर के पास बाहर ही रखवाया था।

मैंने उनसे जब सिस्टम पूछा तो उन्होंने कहा कि तुम्हारा तो पिछला भी बकाया है। मैंने पिछला बकाया होने की जानकारी होने से मना कर दिया तो वह बोलीं- ठीक है। अप्रैल से ही शुरू हुए अकाउंट का पूरा का पूरा बैकलॉग चुकाओ। मैडम ने बताया था कि वीआईपी ड्यूटी के कुल 30 हजार रुपए महीने और पर्सनल 50 हजार रुपए महीने देने ही होंगे। यही रेट ही दूसरे ग्रुप का भी है। तुमको छोड़कर बाकी सभी ग्रुप ये पैसे हर महीने आराम से देते हैं। मैंने कहा कि मैडम हमने तो लाइसेंस फीस दे दी है। तो उन्होंने कहा कि लाइसेंस फीस तो सीधे सरकार को ही चली जाती है, उसमें मुझे तो कुछ भी नहीं मिलता। लाइसेंस फीस से मेरा कोई भी लेना-देना नहीं है।

इसके बाद तय कर लिया था मैडम को सबक सिखाना पड़ेगा

निपेंद्र ने बताया- हमारा तो कारोबार वैसे भी मैडम ने मुश्किल कर दिया था। पिछले 23 अगस्त को ही हमारी दुकान का केस बना दिया था। हमारी 14 पेटी वैध शराब को मैडम ने ये कहते हुए जब्त कर ली थी कि ये अवैध है। जबकि उस शराब का पूरा टैक्स पेड था। फिर भी मैडम ने उसे जब्त करके हमारे खिलाफ एक केस बना दिया था। हमने इसकी बहुत गुहार लगाई, लेकिन वो बिलकुल नहीं मानीं। फिर मैंने तय कर लिया कि अब तो इन मैडम को सबक सिखाना ही पड़ेगा।

मानपुर ग्रुप की हमारी दूसरी दुकान के भी मैडम ने 7 केस लगा दिए। जहां से भी मैडम को उनकी मंथली पैसे नहीं मिलते थे, वो उनका लाइसेंस भी सस्पेंड करने की कोशिश करती थीं। उन्हें अच्छे से मालूम है कि यदि किसी भी दुकान के खिलाफ 4 से ज्यादा केस बन जाएं तो फिर उसका लाइसेंस सस्पेंड करना काफ़ी ज्यादा आसान होगा। ऐसे हालात में हम आखिर कैसे कारोबार करते ।

उस समय मैडम बोलीं- लाइसेंस फीस में मुझे कुछ नहीं मिलता, सिस्टम में ही आओ

इन मैडम को 1.20 लाख रुपए की रिश्वत देकर इस पूरे खेल में ट्रैप करवाने वाले निपेंद्र सिंह ने मिडिया को बताया- पिछले साल मेरे बड़े भाई के नाम से भी एक दुकान थी। तब से ही हमें काफ़ी परेशान किया जा रहा था। इस साल तो प्रेशर बहुत ही ज्यादा हो गया था। वैसे भी उमरिया जिले में शराब के ठेके में कुल 9 समूह ही काम करते हैं। इसमें विंध्या ग्रुप और मानपुर ग्रुप से ही हमारा संबंध है। मैडम ने हमारे भैया से भी बात की थी। ओर वो हमेशा ही वॉट्सएप कॉल पर बात करती थीं। लेकीन भैया से उनकी बातचीत जम नहीं पाई थी। फिर उन्होने मुझे बुलाया था। मैं जब इन मैडम के दफ्तर में गया तो मुझसे बहुत अच्छे से उन्होने व्यवहार किया। फिर उन्होंने साफ ही कह दिया कि पहले सिस्टम में आ आओ।

ये मैडम एक साल में ही कुल 86.40 लाख रुपए रिश्वत लेती थीं

शराब ठेकेदारों ने मिडिया को बताया कि उमरिया में कुल 9 ग्रुप काम करते हैं। एक ग्रुप से ही मैडम 80 हजार रुपए महीने लेती हैं। बीच-बीच में मैडम को 70 हजार रुपए महीना भी देना पड़ता है। कई बार वो सिस्टम के नाम पर या ऊपर पैसे भेजने के नाम पर भी एक्स्ट्रा पैसे मांगती थीं। 9 दुकानों से ही 80 हजार के हिसाब से मैडम कुल 7.20 लाख रुपए सिर्फ रिश्वत के तौर पर लेती थीं। इस हिसाब से ही इन मैडम एक साल में शराब ठेकेदारों से तय रेट के हिसाब से 86.40 लाख रुपए लेती थीं।

वो कहती थीं- की ये एक लक्ष्मीपुत्र डिपार्टमेंट है, राजनीतिक कार्यक्रमों में भी पैसा देना पड़ता है

जब हमने उमरिया के शराब ठेकेदारों से सवाल किया तो जवाब मिला कि मैडम कहती थीं कि ऊपर से नीचे तक ही पूरा सिस्टम बनाना पड़ता है। राजनीतिक कार्यक्रमों में भी पैसे लगते हैं, इसलिए रुपए देना बहुत जरूरी है। ठेकेदार ने मिडिया को बताया कि मैडम हमसे कहती थीं कि ये जो राजनीतिक कार्यक्रम होते रहते हैं, उसकी व्यवस्था आखिर कहां के पैसों से होती है। इसके लिए भी पैसे तो हम लोगों को ही ऊपर भेजने पड़ते हैं। इस कारण से ही हमने एक सिस्टम बना दिया है कि हर महीने आप पैसे देते जाओ, ताकि आप पर भी वजन न आए। ठेकेदार ने ये भी बताया कि मैडम ने बताया था कि यहां मुख्यमंत्री आ रहे हैं, इनके कार्यक्रम के लिए भी पैसा लगता है। मैडम साफ़ कहती थीं कि ये लक्ष्मीपुत्र डिपार्टमेंट है।

अगर मैडम के पास पैसा नहीं पहुंचाया तो पूरी तरह से कार्रवाई होनी तय

लोकायुक्त पुलिस ही अब इस मामले में आगे की जांच बढ़ाते हुए रिन गुप्ता के बैंक अकाउंट और बैंक लॉकर की भी पूरी तरह से जांच कर सकती है। इसके अलावा भी अन्य शराब ठेकेदारों से भी इस मामले में पूरी जानकारी लेगी, ताकि मैडम के रिश्वत के पूरा नेटवर्क का ही खुलासा हो सके। हालांकि जांच अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

वैसे तो ज्यादातर अफसरों से भी नहीं बैठती थी रिनी की पटरी

जान ले रिनी गुप्ता जबलपुर की रहने वाली हैं। 5 जुलाई 2021 को ही जिला आबकारी अधिकारी के तौर पर उमरिया में उनकी यह पहली पोस्टिंग हुई थी। वह मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग से ही चयनित हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिले में आबकारी विभाग ज्यादातर अधिकारियों से उनकी पटरी सही से नहीं बैठी। उनके पति ताप विद्युत केंद्र में ही असिस्टेंट इंजीनियर हैं।

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