AIN NEWS 1: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शनिवार का दिन भावनाओं, आक्रोश और शोक से भरा रहा। इनकिलाब मंच के प्रवक्ता और छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी के जनाजे में भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी ने यह साफ कर दिया कि उनकी मौत सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि एक आंदोलनकारी आवाज़ का खामोश होना है।
शनिवार को मणिक मिया एवेन्यू से लेकर संसद परिसर तक जनसैलाब उमड़ पड़ा। हजारों लोग उस्मान हादी को अंतिम विदाई देने पहुंचे। नमाज-ए-जनाजा के दौरान हर ओर सिर्फ एक ही आवाज़ सुनाई दे रही थी— “इंसाफ चाहिए”।

जनाजे में उमड़ी भीड़, सड़कों पर थमा रहा ट्रैफिक
उस्मान हादी की नमाज-ए-जनाजा में शामिल होने के लिए लोग सुबह से ही ढाका की सड़कों पर जमा होने लगे थे। हालात ऐसे थे कि मणिक मिया एवेन्यू और उसके आसपास के इलाकों में यातायात पूरी तरह बाधित हो गया।
जनाजे में शामिल लोगों में छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक संगठन, बुद्धिजीवी और आम नागरिक शामिल थे। सभी की आंखों में गुस्सा भी था और गम भी। लोगों का कहना था कि उस्मान हादी सिर्फ एक छात्र नेता नहीं थे, बल्कि वह अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले साहसी व्यक्ति थे।
मोहम्मद यूनुस की मौजूदगी ने बढ़ाया संदेश का असर
इस जनाजे में एक अहम उपस्थिति रही नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की। उनके पहुंचने से यह साफ हो गया कि यह मामला सिर्फ छात्र राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की अंतरात्मा से जुड़ा हुआ है।
मोहम्मद यूनुस ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी समाज में असहमति की आवाज़ को हिंसा से दबाना लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है। उनकी मौजूदगी ने जनाजे को और भी प्रतीकात्मक बना दिया।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम, संसद क्षेत्र छावनी में तब्दील
हजारों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए थे। संसद भवन परिसर, ढाका यूनिवर्सिटी और आसपास के इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल और सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती की गई थी।
हालांकि सुरक्षा व्यवस्था सख्त थी, लेकिन भीड़ पूरी तरह शांतिपूर्ण रही। लोग तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर न्याय की मांग लिखी हुई थी। कई स्थानों पर मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
ढाका यूनिवर्सिटी परिसर में किया जा रहा सुपुर्द-ए-खाक
नमाज-ए-जनाजा के बाद उस्मान हादी के पार्थिव शरीर को ढाका यूनिवर्सिटी परिसर ले जाया गया, जहां उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जा रहा है। खास बात यह है कि उन्हें राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के मकबरे के पास दफनाया जाना है, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक और भावनात्मक संकेत माना जा रहा है।
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उनके समर्थकों का कहना है कि यह जगह उनके विचारों और संघर्ष के अनुरूप है, क्योंकि काजी नजरुल इस्लाम भी विद्रोह और न्याय की आवाज़ के प्रतीक रहे हैं।
कौन थे शरीफ उस्मान हादी?
शरीफ उस्मान हादी इनकिलाब मंच के प्रमुख प्रवक्ता थे और ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र आंदोलन में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती थी। वे सामाजिक अन्याय, राजनीतिक दमन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दों पर मुखर होकर बोलते थे।
उनकी लोकप्रियता खासकर युवाओं के बीच काफी थी। यही वजह है कि उनकी मौत की खबर फैलते ही देशभर में शोक और गुस्से की लहर दौड़ गई।
मौत के बाद उठे कई सवाल
उस्मान हादी की मौत को लेकर अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। उनके समर्थकों और मानवाधिकार संगठनों ने स्वतंत्र जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
जनाजे के दौरान कई वक्ताओं ने कहा कि अगर दोषियों को सजा नहीं मिली, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि पूरे लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला होगा।
देशभर में दिखा असर
ढाका के अलावा बांग्लादेश के कई अन्य शहरों में भी उस्मान हादी को श्रद्धांजलि दी गई। छात्र संगठनों ने कैंडल मार्च निकाले और सोशल मीडिया पर #UsmanHadi ट्रेंड करता रहा।
लोगों का साफ कहना है कि उस्मान हादी की आवाज भले ही खामोश हो गई हो, लेकिन उनके विचार अब और ज्यादा मजबूती से आगे बढ़ेंगे।
The funeral of Usman Hadi in Dhaka witnessed a massive gathering as thousands of people gathered at Dhaka University to demand justice. Student leader Usman Hadi’s death has triggered widespread protests across Bangladesh, with prominent figures like Nobel laureate Muhammad Yunus attending the janaza. The incident has raised serious questions about freedom of expression, student politics, and human rights in Bangladesh, making Usman Hadi funeral a significant national issue.



















