एक ऐसा शिव मंदिर, जिसका संबंध है महाभारत के साथ ?

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एक ऐसा शिव मंदिर, जिसका संबंध है महाभारत के साथ ?

बता दे कि यमुनानगर की शिवालिक की पहाड़ी पर बने शिव मंदिर है  जिनका संबंध महाभारत से बताया जाता है इस शिव मंदिर की मान्यता है कि युद्ध के बाद पांडवों ने यहां शिवजी की आराधना की गई थी। तभी से इस मंदिर का  संबंध  महाभारत से बतया जा रहा है और  इस मंदिर को जाने वाले 2 किमी लंबे रास्ते की चढ़ाई एकदम तीखी है।
क्या है मंदिर का इतिहास
 आपको बता दे कि यमुनानगर के गांव झंडा की उत्तरी दिशा में शिवालिक की पहाड़ी पर एक ऐसा शिव मंदिर है जिसका महाभारत से संबंध बताया जाता है। बताया जाता है कि शिवालिक की पहाड़ी पर श्री महाकालेश्वर शिव मंदिर है। और ये कहा जाता है कि इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने यहा  काफी दिनो तक तपस्या की थी।
 इस मंदिर की यह भी मान्यता है कि मंदिर परिसर में मौजूद बरगद के पेड़ से ही बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखा था।  और जब घटोत्कच और अहिलावती का बेटा बर्बरीक महाभारत युद्ध में भाग लेने चला था तो श्रीकृष्ण ने यहां पर बर्बरीक की    परीक्षा ली थी और दान में बर्बरीक का सिर मांग लिया था। जब बर्बरीक ने युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की थी तब श्री कृष्ण  ने उनके सिर को एक पेड़ पर रख दिया था। मान्यता है कि महाकालेश्वर मंदिर के पास आज भी वहीं बरगद का पेड़ खड़ा है।
इस मंदिर के बारे में ये कहा जाता है कि श्री महाकालेश्वर शिव मंदिर महाभारत काल का है। गांव के पूर्वज सदियों से इस मंदिर मे माथा टेकते आ रहे हैं। गांव के लोगों ने चाहा कि इस शिवलिंग का यहां से निकालकर गांव में स्थापित करेंगे। शिवलिंग को निकालने का काम शुरू किया गया था। कई फुट गहरी खुदाई के बाद भी शिवलिंग का तल नहीं मिला। खुदाई के दौरान शिवलिंग के चारों ओर गणेश जी नंदी सहित कई मूर्तियां मिली थी। एक सांप निकला और शिवलिंग से लिपट गया था। उसके बाद ग्रामीणों ने शिवलिंग को यहां से ले जाने की बजाय मंदिर के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया था। 2010 में दोबारा से मंदिर भवन का निर्माण शुरू किया गया था।
मंदिर कि चढ़ाई  है  एकदम तीखी ।
जी हां इस मंदिर की चढ़ाई काफी ज्यादा तीखी है ये कहा जाता है इस मंदिर के बारे में इस मंदिर को जाने वाले 2 किमी लंबे रास्ते की चढ़ाई एकदम खड़ी है। इस कठिन रास्ते को तय करने के बाद पहाड़ी की चोटी पर शिव मंदिर के दर्शन होते हैं। मंदिर कमेटी के प्रधान रमेश बिट्टू ने बताया कि मंदिर को भव्य स्वरूप प्रदान करने के अलावा यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दानी सज्जनों के सहयोग से कई निर्माण किए गए हैं।
इस मदिंर में यज्ञशाला, काली माता मंदिर, भैरों मंदिर, हनुमान मंदिर, पार्किंग, विश्राम स्थल, पेयजल, शौचालयों व भंडारा गृह का निर्माण किया गया है। वैसे तो मंदिर में रोजाना ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन सावन मास के दौरान यहां पूजा करने वालों का तांता लगा रहता है। सावन के साथ महाशिवरात्रि पर भी मंदिर में काफी ज्यादा भीड़ नजर आती है बता दे कि महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर परिसर में विशेष सजावट की गई है। शिवलिंग का फूल, फलों व चंदन से विशेष श्रृंगार किया गया है। इसके अलावा यहां नियमित तौर पर पूजा व हवन-यज्ञ किए जा रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर कमेटी द्वारा भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।

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