AIN NEWS 1: जैसा कि आप सभी जानते है हर किसी व्यक्ति का एक सपना होता है कि वो अपनी ज़िंदगी में ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाए और ज्यादा सुविधाजनक ज़िंदगी जिए. कोई भी आज के समय में ऐसा नहीं है, जो कि अपनी ज़िंदगी को कंगाली में जीना चाहे. लेकीन आज आपको हम एक ऐसे शख्स की कहानी बताएंगे, जिसने काफ़ी कमाकर खाने लायक पढ़ाई की थी और जब भी चाहे वो कोई अच्छी नौकरी कर भी सकता है लेकिन उसने अपनी ज़िंदगी को लेकर एक अलग ही फैसला कर लिया है.
ये पूरी कहानी यूनाइटेड किंगडम के ही रहने वाले मार्क बोएल (Mark Boyle) की है. उन्होंने साल 2008 में ही पैसे का इस्तेमाल करना पूरी तरह से बंद कर दिया था और तब से ही वो बिना रुपये-पैसे के ही जी रहा है. यहां वो बात अलग है कि वो एक पढ़ा-लिखा आदमी है और वह कोई भी नौकरी कर सकता है. हालांकि उसने टेक्नोलॉजी और बाकी चीज़ें छोड़कर नेचुरल लाइफ ही अपना ली है.
बिजनेस की किताबें पढ़कर चुन ली कंगाली
जान ले मार्क बोएल (Mark Boyle) ने कॉलेज से ही बिजनेस और इकोनॉमिक्स की डिग्री भी ली थी. उन्हें जल्दी ही ब्रिस्टल की एक फूड कंपनी में अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी भी मिल गई. और वो सालों से इसी के लिए मेहनत भी कर रहा था, ताकि वो ज़िंदगी में बहुत ज्यादा कामयाबी हासिल कर सके. साल 2007 में अचानक ही एक रात में कुछ ऐसा हुआ कि इस शख्स का पूरा सोचने समझने का तरीका ही बदल गया. वो अपनी हाउसबोट में बैठा हुआ दर्शन के बारे में लोगों से बातें कर रहा था. इस दौरान ही उसे महसूस हुआ कि यह पैसा ही सारी दिक्कतों की अकेली जड़ है. और उसने यहीं पर सोच लिया कि उसे पैसे न तो कमाने और न ही खर्च करने का संकल्प पहले खुद से ही लेना होगा.
और उस समय से ही वो न कमाता है, न खर्च करता है
मार्क ने इस घटना के बाद से ही अपनी महंगी हाउसबोट को बेचा और एक बहुत पुरानी कारवां गाड़ी में ही रहने लगा. उसने वहां बिना पैसे की ही ज़िंदगी जीनी शुरू की. कुछ महीनों में तो उसे काफ़ी दिक्कत आईं, लेकिन उसने चाय, कॉफी और दूसरी सभी सुविधाओं को पूरी तरह से छोड़ दिया. उसके बाद से यह शख्स सिर्फ वही सब इस्तेमाल करता है, जो के उसे प्रकृति से मिला है. उसका कहना है कि तब से ही न तो वो बीमार हुआ और न ही उसे किसी सुरक्षा की ज़रूरत अभी तक पड़ी है. इस दौरान उसके तमाम दोस्त भी बन गए हैं. उन्होंने साल 2017 में ही टेक्नोलॉजी को भी पूरी तरह से छोड़ दिया, वे कहते हैं कि अपनी पुरानी लाइफ के बजाय ही वे भविष्य के बारे में भी सोचते हैं.