एमएमजी की तरह संयुक्त जिला अस्पताल का भी हुआ बुरा हाल, मरीज प्राइवेट अस्पतालों में जाने को हुए मजबूर!

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एमएमजी की तरह संयुक्त जिला अस्पताल का भी हुआ बुरा हाल, मरीज प्राइवेट अस्पतालों में जाने को हुए मजबूर!

दिन पर दिन डेंगू के मामले कम होने के वजाह बढ़ते जा रहे है पहले तो एमएमजी अस्पताल को बुरा हाल था लेकिन अब संयुक्त अस्पताल का भी बुरा हाल हो गया है। बता दे कि रोजाना 100 से ऊपर मरीज डेंगू, बुखार, उल्टी दस्त के मरीज आते रहते है। मरीजों की सख्या ज्यादा होने के चक्कर में एक ब्रेड पर दो मरीजो को सुलाते है। बता दे कि यूपी के गाजियाबाद के एमएमजी और संयुक्त अस्पताल में सभी बेड फुल होने के बाद अब सिफारिश लगाने के बाद एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। सामान्य मरीजों को बेड नहीं होने से रेफर किया जा रहा है। वही मंगलवार को एमएमजी अस्पताल में लिखित में सात और मौखिक 12 मरीजों को रेफर किया गया। वहीं, संयुक्त अस्पताल से भी आठ मरीजों को रेफर किया गया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि सीएमओ, प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के फोन आने पर मरीजों को बेड खाली नहीं होने पर भी भर्ती करना पड़ रहा है। वही आपको बता दे कि मंगलवार को एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में सभी बेड पर 2-2 मरीजों का उपचार चल रहा था। वार्ड में भी कई बेड पर दो-दो मरीज भर्ती नजर आए। अस्पताल के वार्डों में 128 मरीज भर्ती थे, जबकि इमरजेंसी के 10 बेड पर 20 मरीज भर्ती थे और इमरजेंसी वार्ड में कुल 6 या 7 ब्रेड थे जिसमें सभी ब्रेडो पर दो-दो मरीजो को सुला रखा था । वहीं अगर बात करे संजय नगर स्थित संयुक्त अस्पताल में डायलिसिस समेत ट्रॉमा सेंटर के 137 बेड हैं। इनमें 108 मरीज भर्ती थे। अस्पताल की इमरजेंसी में 10 बेड और होल्डिंग एरिया में भी 10 बेड हैं। दोनों ही वार्डों में सभी बेड पर मरीज भर्ती थे। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में पेट संबंधी रोगियों की संख्या ज्यादा बनी हुई है इसके साथ साथ बुखार और ऊल्टीदस्त के केस में भी बढ़ोतरी हो रही है

डॉ. मनोज कुमार चतुर्वेदी ने दी जानकरी

बता दे कि सीएमएस डॉ. मनोज कुमार चतुर्वेदी ने जानकारी देते हुऐ बताया कि अस्पताल में 2044 नए मरीजों का पंजीकरण हुआ था। इनमें 972 पुरुष और 687 महिलाओं के अलावा 385 बच्चे थे। बुखार के 364 मरीज इलाज कराने पहुंचे थे। 24 घंटे में 128 मरीजों को भर्ती किया गया। उन्होंने बताया कि पैथॉलाजी विभाग में 3005 मरीजों की जांच की गई साथ ही मनोज कुमार ने बताया कि रोजाना  मरीजो की  भिड़ अस्पताल के अन्दर आती है। सबसे ज्यादा मरीज बुखार उल्टी दस्त और बुखार के आते है। मरीजों के अधिक होने के चक्कर में अस्पताल में ब्रेड कम होते जा रहे है. इसी कारण एक ब्रेड पर दो मरीजो को सुलाया जा रहा है और इसके बाद जिन मरीजो में शुधार नजर आने लगता है उनको हम फिर दूसरे रुम में सिफ्ट कर देते है।

मरीज प्राइवेट अस्पतालों में जाने को हुए मजबूर

अस्पताल में बढ़ते मरीजो की सख्या को देखते हुए बहुत से मरीज प्राइवेट अस्पताल में उपचार  कराने पर मजबूर हो गए है । बता दे कि अस्पतालों में एक बेड के पर दो मरीजो को सुलाया जा रहा है इसी कारण ज्यादा तर मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करने के लिए मजबूर हो गये है

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