कहीं आपके भी घर में तो नहीं लगा है गैस गीजर? फरीदाबाद के इस नामी होटल की महिला मैनेजर की गैस गीजर ने ली जान।

फरीदाबाद के नामी होटल की जनरल मैनेजर रुचा की मौत गीजर की गैस लीक होने के चलते हुई। बाथरूम में वेंटिलेशन न होने के चलते गैस पूरे जगह भर गई। इससे रुचा को पर्याप्त ऑक्सिजन नहीं मिल पाई और उसकी मौत हो गई। भविष्य में ऐसी गलती आप न करें इसके लिए कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।

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फरीदाबाद में होटल मैनेजर की मौत

नहाते वक्‍त गैस गीजर के इस्तेमाल से मौत

3 माह की गर्भवती थी होटल मैनेजर 

AIN NEWS 1: फरीदाबाद के एक होटल की जनरल मैनेजर रुचा रोजाना की तरह शाम को घर लौटने के बाद नहाने गई थीं। लेकिन जब रुचा काफी देर तक बाथरुम से बाहर नहीं आईं तो घरवाले घबरा गए। परिवार वालों ने आवाज लगाई लेकिन रुचा की ओर से कोई जवाब नहीं आया। ऐसे में पड़ोसियों की सहायता से बाथरुम का दरवाजा तोड़ा गया। दरवाजा खुलते ही सब हैरान रह गए क्योंकि रुचा बाथरुम के फर्श पर बेहोश पड़ी थी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन रुचा की जान नहीं बच सकी। इस दुखद घटना का एक दर्दनाक पहलू ये भी है कि रुचा 3 महीने की गर्भवती थीं। पुलिस जांच के मुताबिक गीजर चालू रहने से गैस पूरे बाथरूम में भर गई थी। इससे रुचा को ऑक्सीजन नहीं मिली और उनकी दम घुट जाने से मौत हो गई।

सावधानी से करें गैस गीजर का इस्तेमाल 

गैस गीजर लगवाते वक्त ये ध्यान रखना ज़रुरी है कि गैस सिलिंडर और गीजर दोनों बाथरूम से बाहर होने चाहिएं। गर्म पानी को बाथरूम तक लाने के लिए पाइप का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही एक सावधानी ये भी बरतें कि बाथरूम का दरवाजा बंद करने से पहले ही बाल्टी को गर्म पानी से भर लिया जाए।

गीजर बंद करके ही नहाएं

गैस गीजर वाले बाथरूम में ये ज़रुर ध्यान रखें कि उसमें क्रॉस वेंटिलेशन का इंतजाम हो। इसके साथ ही जैसे ही घर का कोई सदस्य नहाकर निकलता है तो तुरंत बाद बाथरूम में नहाने ना घुस जाएं। कुछ देर के लिए दरवाजा ज़रुर खुला छोड़ें। दरअसल, एक के बाद एक लगातार कई लोगों के नहाने से बाथरूम में कार्बन मोनोऑक्साइड जमा होने की आशंका बढ़ जाती है।

बाथरूम में गैस गीजर का कैसे करें इस्तेमाल?

गैस से भरे सिलेंडर को लेटाकर रखने से उसमें गैस का प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे सिलेंडर के फटने की आशंका हो जाती है। गैस गीजर अगर बाथरूम के भीतर लगा है तो वहां वेंटिलेशन का इंतजान होना चाहिए। सिलेंडर को बाथरूम के अंदर रखने की जगह उसे बाहर बालकनी या किसी खुले स्थान पर रखना चाहिए। ब्रांडेड कंपनी के आईएसआई मार्का वाले गीजर का ही उपयोग करना चाहिए।

ज्यादा देर तक गीजर ऑन ना रखें

गैस गीजर में एलपीजी का उपयोग होता है। ये गैस गीजर नुकसानदायक कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रो ऑक्साइड गैस बनाते हैं। बाथरूम में गैस की मात्रा बढ़ने पर लोग का दम घुटने लगता है। ज्यादा देर तक गीजर ऑन रहने और बंद बाथरूम में रहने से बेहोशी की आशंका बढ़ जाती है। कार्बन मोनोऑक्साइड बनने से ऑक्सिजन नहीं रहती और ये अचानक से और इतनी तेजी से होती है कि दिमाग कुछ भी सोचने की हालत में नहीं रहता। प्रभावित व्यक्ति के सोचने समझने से पहले ही उसकी मौत हो सकती है। जल्दी सहायता मिलने पर ही जान बचाई जा सकती है।

बाथरूम में वेंटिलेशन अनिवार्य 

रुचा की मौत पर पुलिस का कहना है कि बाथरूम में कहीं भी वेंटिलेशन के लिए जगह ना होने के कारण गैस सारे बाथरूम में भर गई। इससे रुचा बाथरूम में ही बेहोश हो गई और फिर ऑक्सिजन नहीं मिलने से उनकी मौत हो गई। अगर यहां पर बाथरुम में वेंटिलेशन होता तो फिर उनकी जान बच सकती थी। रुचा के पिता ने बताया कि उनकी बेटी का कुछ महीने पहले ही प्रमोशन हुआ था। अब गर्भवती थीं रुचा के घर में खुशियां आने से पहले ही उनकी मौत हो गई। महिला की मौत के मामले में पुलिस हर कोण से जांच कर रही है। रुचा के मायके वालों ने किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की है। पहली नजर में ये मामला गीजर से गैस लीक होने की वजह से मौत लग रहा है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत का कारण पता चल सकेगा।

पहले भी हुए गैस गीजर से हादसे 

जनवरी 2021- फरीदाबाद के सेक्टर-31 में बीजेपी नेता भारती भाकुनी की 13 साल की बेटी की मौत गैस गीजर वाले बाथरूम में हुई थी

जनवरी 2016- एनआईटी एक स्थित आर्य समाज मंदिर रोड पर 24 साल की शिल्पा और उनके दो वर्ष के बेटे की गैस गीजर वाले बाथरूम में मौत हो गई थी

जनवरी 2016: ग्रेटर नोएडा के अल्फा-2 में चेतन सैनी और उनकी पत्नी किरण सैनी की गैस गीजर वाले बाथरूम में मौत हो गई थी। दोनों की हादसे के 4 दिन पहले ही शादी हुई थी।

क्यों जानलेवा बन जाता है गैस गीजर?

कार्बन मोनो ऑक्साइड बॉडी में जाने से पहले व्यक्ति बेहोश हो जाता है। इसके बाद दिमाग की स्थिति कोमा जैसी हो जाती है। कार्बन मोनो ऑक्साइड शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल्स पर अटैक करती है। जब कोई सांस लेता है, तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन के साथ मिल जाती है। हीमोग्लोबिन की मदद से ही ऑक्सीजन फेफड़ों से होकर शरीर के दूसरे हिस्सों तक जाती है। कार्बन मोनो ऑक्साइड सूंघने से हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल बंद हो जाते हैं और शरीर के ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर असर होता है। ऐसा होने से सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत, घबराहट, मितली आना, सोचने की क्षमता पर असर पड़ना, हाथों और आंखों का तालमेल गड़बड़ होना, पेट में तकलीफ और उल्टी, दिल की धड़कन बढ़ना, शरीर का टेंपरेचर कम होना, लो ब्लड प्रेशर, कार्डियक और रेस्पिरेटरी फेलियर जैसी प्रॉब्लम हो सकती है।

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