Ainnews1.com : बताते चले उत्तर प्रदेश के कानपुर में डेढ़ साल तक इनकम टैक्स अधिकारी विमलेश की डेड बॉडी को घर में छुपाने का मामला अब पूरी दुनिया में मेडिकल साइंस के लिए एक बड़ा चर्चा का विषय बन गया है. इस डेड बॉडी को घर से पुलिस निकालकर कानपुर मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल हैलट ले गई थी, जहां डॉक्टरों ने शव का निरीक्षण करके विमलेश के डेढ़ साल पहले मृत्यु होने का दावा भी किया था. लेकिन कानपुर के मेडिकल कॉलेज जीएसवीएम अब इस मामले की केस स्टडी करेगा.मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सक विभाग के हेड डॉ. गणेश का यह भी कहना है कि यह एक तरह की दुनिया का सबसे अनोखा केस है, जिसमें पूरा परिवार एक ही तरह की सोच रखता रहा है कि मृतक अभी भी जिंदा है. यह एक तरह की बीमारी है.उन्होंने यह चिंता भी जताई, क्योंकि परिवार के सभी लोग उसे जिंदा मानकर ही चल रहे थे. ऐसे में वह भी मानसिक रूप से व्यथित होंगे और उन्हें निगरानी की भी जरूरत है, क्योंकि वह अपने को नुकसान पहुंचा सकते हैं.डॉ. गणेश ने यह भी कहा है कि मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर छात्र तो इसे केस स्टडी के रूप में लेंगे ही, लेकिन यह सारी दुनिया के लिए भी स्टडी का केस बनेगा. उन्होंने यह भी कहा है कि घर वाले बॉडी को गंगाजल से पोछते थे, डेटॉल से पोछते थे. ऐसे में बॉडी ममी की तरह जरूर हो गई थी, लेकिन वह ममी नहीं थी, क्योंकि ममी का प्रोसेस ही अलग है.डॉ. गणेश ने बताया कि यह अनोखा मामला है, क्योंकि इस मामले में परिवार के सभी लोग डेड बॉडी की पूरी सेवा भी करते रहे है, उसको पोछते रहे, कपड़े भी बदलते रहे, गंगाजल से पोछते रहे, घर मे रहने वाले आठ दस लोग उसकी सेवा उसे जिंदा मानकर ही करते रहे. यह एक तरह से बीमारी कही जाएगी.डॉ. का यह भी कहना है कि प्रथम दृष्टया एक तरह की शेयर साइकाइट्रिक डिस ऑर्डर की बीमारी लगती है. डॉक्टर का यह भी कहना है कि इस तरह की बीमारी से जुड़े दो मामले कोलकाता में भी सामने आ चुके हैं, जिसमें एक डेड बॉडी को टेंशन के चक्कर में उसके परिजन 3 साल तक फ्रिज में रखे रहे. जबकि दूसरे मामले में 6 महीने तक एक डेड बॉडी को घर में रखा गया था.उधर, विमलेश के पड़ोसी तारीक का यह भी कहना है कि घरवाले अभी भी हम लोगों से अनजान ही बने रहते थे. यह कभी-कभी उसको बाहर कुर्सी पर बैठा कर भी लाते थे.इस मामले में विमलेश की मां रामदुलारी का कहना है कि मेरा बेटा अभी भी जिंदा है, पुलिस ने उसे ले जाकर हॉस्पिटल में रखा, वहां उसे मार डाला, उसकी सांसें चल रही थीं, मैं उसको गंगाजल से नहलाती थी. वहीं मृतक के पिता का भी यही कहना है कि मेरा बेटा जिंदा था, उसकी सांसें चल रही थीं, मेरी नातिन उसकी सांस चेक करती थी, उसकी धड़कन भी चलती थी.वहीं इस मामले में शव का पोस्टमार्टम नहीं कराए जाने पर ज्वाइंट कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि हमने पोस्टमार्टम इसलिए नहीं कराया, क्योंकि मौत का कारण डॉक्टरों ने डेढ़ साल पहले लिख कर दे दिया था और इस मामले में मोहल्ले के लोगों ने कभी भी बदबू की शिकायत या किसी अन्य तरह की कंप्लेन नहीं की थी.
परिवार के लोग कल साथ में थे इसलिए हमने पहले क्रिमिनेशन कराया था. अब इस मामले के सारे जांच करने के लिए एडीसीपी राहुल मिठास की एक टीम बनाई गई है, जो कि पूरे मामले की जांच भी करेगी.इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि घर में शायद बदबू दूर करने के लिए यह लोग हवन वगैरह भी करते थे.बता दें कि इनकम टैक्स अधिकारी विमलेश के शव को परिवार ने डेढ़ साल तक न सिर्फ घर में रखा, बल्कि उसे जिंदा मानकर पूरा परिवार उसके साथ सो भी रहा था. परिवार की एक सदस्य रोजाना मृतक विमलेश की डेड बॉडी की धड़कन भी चेक करती रही और उसे जिंदा बताती रही. मामला सामने आने पर लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई.परिवार के लोगों ने पुलिस को बताया था कि विमलेश कोमा में है. हालांकि, अस्पताल ने डेढ़ साल पहले ही विमलेश को मृतक घोषित कर दिया था .डेथ सर्टिफिकेट भी जारी किया था.इनकम टैक्स विभाग की शिकायत पर शुक्रवार को पुलिस ने जब घर में छापा मारा तो देखकर हैरान रह गई. मृतक युवक की डेड बॉडी एक कमरे में बिस्तर पर बड़े आराम से लिटाई गई थी.