AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में आवारा कुत्तों के लगातार बढ़ते हमलों को देखते हुए प्रशासन ने अब कड़ा रुख अपनाया है। आम लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए नगर प्रशासन ने ‘ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ लागू कर दी है, जिसके तहत इंसानों को नुकसान पहुंचाने वाले कुत्तों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
पिछले कुछ महीनों में कानपुर के अलग-अलग इलाकों से आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार सामने आ रही थीं। इनमें बच्चे, बुज़ुर्ग और राह चलते लोग सबसे अधिक शिकार बने। कई मामलों में पीड़ितों को गंभीर चोटें आईं और लंबे इलाज की जरूरत पड़ी। इन्हीं घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने यह बड़ा फैसला लिया है।
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क्या है नया आदेश?
प्रशासन द्वारा जारी नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कोई कुत्ता किसी व्यक्ति को एक बार काटता है, तो उसे तुरंत पकड़कर एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर भेजा जाएगा। वहां उस कुत्ते को 10 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। इस दौरान यह देखा जाएगा कि कुत्ते में आक्रामकता, रेबीज़ या दोबारा हमला करने की प्रवृत्ति तो नहीं है।
अगर निगरानी अवधि में यह पाया जाता है कि कुत्ता सामान्य व्यवहार कर रहा है और दोबारा किसी के लिए खतरा नहीं है, तो विशेषज्ञों की सलाह के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।
दो या अधिक लोगों को काटने पर उम्रकैद
नए नियमों में सबसे सख्त प्रावधान उन कुत्तों के लिए किया गया है, जो दो या उससे अधिक लोगों को काट चुके हैं। ऐसे कुत्तों को समाज के लिए गंभीर खतरा मानते हुए हमेशा के लिए ABC सेंटर में रखा जाएगा। इसे प्रशासनिक भाषा में ‘स्थायी निगरानी’ कहा जा रहा है, जिसे आम लोग उम्रकैद के रूप में देख रहे हैं।
इस फैसले का उद्देश्य किसी भी कीमत पर आम नागरिकों की जान और सुरक्षा से समझौता न करना है।
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अब तक 4–5 कुत्तों को मिल चुकी है ‘उम्रकैद’
इस आदेश के लागू होने के बाद कानपुर में अब तक 4 से 5 कुत्तों को स्थायी रूप से ABC सेंटर में रखा जा चुका है। इनमें कुछ ऐसे कुत्ते भी शामिल हैं जिनके खिलाफ एक से अधिक हमले की पुष्टि हुई थी।
चौंकाने वाली बात यह है कि इन मामलों में केवल आवारा कुत्ते ही नहीं, बल्कि कुछ पालतू कुत्ते भी शामिल पाए गए, जो अपने मालिकों की लापरवाही के कारण लोगों के लिए खतरा बन चुके थे।
पालतू कुत्तों के मालिकों पर भी जिम्मेदारी
प्रशासन ने साफ कर दिया है कि यदि कोई पालतू कुत्ता किसी व्यक्ति पर हमला करता है और यह साबित होता है कि मालिक ने सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं किया, तो कुत्ते के साथ-साथ मालिक पर भी कार्रवाई की जा सकती है।
नगर निगम का कहना है कि पालतू जानवर रखने का मतलब यह नहीं है कि सार्वजनिक सुरक्षा से समझौता किया जाए। कुत्तों को खुले में छोड़ना, बिना मुंह पर पट्टा लगाए घुमाना या आक्रामक कुत्तों को नियंत्रित न करना अब भारी पड़ सकता है।
आम लोगों को क्या राहत मिलेगी?
प्रशासन के इस फैसले से आम नागरिकों में राहत की भावना देखी जा रही है। खासकर माता-पिता, जिनके बच्चे स्कूल या पार्क जाते समय डर के साए में रहते थे, उन्होंने इस कदम का स्वागत किया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले शिकायत करने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती थी, लेकिन अब प्रशासन मौके पर पहुंचकर कुत्तों को पकड़ रहा है और नियमों के अनुसार कार्रवाई कर रहा है।
पशु प्रेमियों की चिंता भी सामने आई
हालांकि, इस फैसले के बाद कुछ पशु प्रेमी संगठनों ने अपनी चिंता भी जताई है। उनका कहना है कि कुत्तों को आक्रामक बनने से पहले नियंत्रित करने, नसबंदी और टीकाकरण पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।
प्रशासन ने इस पर स्पष्ट किया है कि यह नीति किसी जानवर के खिलाफ नहीं, बल्कि मानव जीवन की सुरक्षा के लिए बनाई गई है। साथ ही ABC सेंटरों में कुत्तों की देखभाल, इलाज और भोजन की पूरी व्यवस्था की जा रही है।
प्रशासन का स्पष्ट संदेश
कानपुर प्रशासन ने साफ शब्दों में कहा है कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चाहे वह आवारा कुत्ते हों या पालतू, अगर कोई जानवर लोगों की जान के लिए खतरा बनता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई तय है।
नगर निगम और पशुपालन विभाग की संयुक्त टीमें लगातार शहर में निगरानी कर रही हैं और शिकायत मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जा रही है।
कानपुर में लागू की गई ज़ीरो टॉलरेंस नीति यह साफ संकेत देती है कि अब प्रशासन आम लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए यह फैसला भले ही सख्त लगे, लेकिन मौजूदा हालात में इसे जरूरी कदम माना जा रहा है।
आने वाले समय में इस नीति के प्रभाव और इसके परिणामों पर सबकी नजर रहेगी।
Kanpur administration has taken strict action against rising street dog attacks by implementing a zero tolerance policy. Under the new rules, dogs involved in multiple biting incidents are permanently kept at ABC centers to ensure public safety. The move aims to control stray dog menace in Kanpur, improve animal birth control measures, and protect citizens from dangerous dog attacks.



















