AIN NEWS 1 नई दिल्ली : पावर ऑफ अटॉर्नी आपकी प्रॉपर्टी का एक जरूरी लीगल डॉक्यूमेंट है जिसके जरिए एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी प्रॉपर्टी को मैनेज करने के लिए कानूनी रूप से अपॉइंट कर सकता है. उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों के आधार पर, इसको जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) या सीमित पावर ऑफ अटॉर्नी के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन आपको पता होना चाहिए कि यह केवल किसी विशिष्ट जिम्मेदारी तक ही सीमित है और एक निर्दिष्ट समय के लिए ही होती है. एजेंट को इसके तहत व्यक्तिगत और व्यावसायिक निर्णय लेने की बिलकुल अनुमति होती है.पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए आपकों किसी प्रॉपर्टी का मालिक किसी को अपनी संपत्ति बेचने का अधिकार भी सौंप देता है. इसका पूरा मतलब यह नहीं हुआ कि वह प्रॉपर्टी ही उसकी हो गई है. पावर ऑफ अटॉर्नी जिसके भी नाम पर बनाई जाती है उसे एजेंट और जो भी बनवाता है उसे प्रिंसिपल कहते हैं. मान लीजिए अगर किसी जमीन के मालिक ने आपके नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाई है तो आप उसके एजेंट हुए और वह मालिक हुआ उसका प्रिंसिपल. आप दोनों उस जमीन को लेकर जो भी फैसला लेंगे वह भी मान्य होगा. आपको उस जमीन की बिक्री का भी पूरा अधिकार होगा.
जाने तो आख़िर परेशानी कहां है?
पेशानी इसमें ये है कि प्रिंसिपल जब चाहें तब इस पावर ऑफ अटॉर्नी को आसानी से निरस्त कर सकता है. यही नहीं, अगर प्रिसिंपल की मौत हो जाती है तब भी यह पावर ऑफ अटॉर्नी अपने आप निरस्त हो जाएगी. अगर आपने किसी से कोई घर खरीदा है और कुछ पैसे बचाने के लिए केवल पावर ऑफ अटॉर्नी ही अपने नाम कराई है तो उस घर पर मालिकाना हक आपका अभी नहीं हुआ. अगर उस शख्स ने उस पावर ऑफ अटॉर्नी को कभी खत्म कर दिया तो वह घर आपके हाथ से पूरी तरह चला जाएगा. आप कोर्ट में जाकर केस तो लड़ सकते हैं लेकिन इसका लाभ आपको मिले, ऐसा होने की संभावना काफी कम है. ऐसा इसलिए क्योंकि रजिस्ट्रेशन न कराकर सीधे तौर पर सरकार से पैसे बचाने का एक अवैध प्रयास किया गया है.
जाने कैसे बचाते हैं पैसा
दरअसल, जब आप मकान या कोई जमीन खरीदते हैं तो आपको उसका रजिस्ट्रेशन यानी रजिस्ट्री करानी ही होती है. इसके लिए आपको सरकार को एक स्टांप ड्यूटी देनी तय होती है. इसी स्टांप ड्यूटी को बचने के लिए लोग केवल पावर ऑफ अटॉर्नी अपने नाम से कराते हैं. वैसे तो यहां भी खरीदार को स्टांप ड्यूटी देनी होती है लेकिन वह रजिस्ट्री के मुकाबले में काफी ज्यादा कम होती है. वहीं, देश के कई राज्यों में तो यह बिलकुल शून्य ही है.
जाने क्या करना होगा जरूरी
बता दें आप जब भी कोई प्रॉपर्टी खरीदें तो केवल उसे पावर ऑफ अटॉर्नी अपने नाम न कराएं. इसके साथ ही आप रजिस्ट्री भी करवाएं. बेशक उसमें आपको भारी स्टांप ड्यूटी देनी हो लेकिन उस जमीन पर मालिकाना अधिकार आपका हो जाएगा. इसके अलावा भी आपको दाखिल-खारिज भी अवश्य ही कराना चाहिए. दाखिल खारिज क्यों जरूरी है इसके बारे में आप यहां दिए गए लिंक में आसानी से पढ़ सकते हैं.
Property Ownership: अगर आप जमीन की रजिस्ट्री करवने वाले हो तो उसके बाद ज़रूर करा लें ये काम, वरना आपको नहीं मिलेगा इसका मालिकाना हक!