AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के जीवन और उसके एनकाउंटर पर आधारित वेब सीरीज ‘UP 77’ को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही कानूनी लड़ाई पर फिलहाल बड़ा फैसला सामने आया है। अदालत ने इस वेब सीरीज की रिलीज पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना अंतिम निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
यह वेब सीरीज 25 दिसंबर को एक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है। रिलीज से ठीक पहले इस पर कानूनी विवाद खड़ा हो गया, जब विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
📌 क्या है पूरा मामला?
याचिका में कहा गया है कि ‘UP 77’ वेब सीरीज सीधे तौर पर विकास दुबे के जीवन, अपराधों और उसके एनकाउंटर की कहानी पर आधारित है। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि भले ही सीरीज में मुख्य किरदार का नाम विकास दुबे की जगह ‘विशाल दुबे’ रखा गया हो, लेकिन कहानी, घटनाक्रम और प्रस्तुति साफ तौर पर असल घटना से मेल खाती है।
वकील ने अदालत में कहा कि इस तरह की वेब सीरीज से न सिर्फ मृतक की बल्कि उसके परिवार, खासकर पत्नी और बच्चों की सामाजिक छवि को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
⚖️ याचिकाकर्ता की दलीलें क्या रहीं?
विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में कहा कि—
वेब सीरीज के प्रोमो में इसे “भारत का सबसे चर्चित एनकाउंटर” बताया गया है
इससे साफ होता है कि कहानी सीधे तौर पर विकास दुबे एनकाउंटर से जुड़ी है
इस तरह का प्रचार परिवार की प्रतिष्ठा और निजता का उल्लंघन करता है
परिवार पहले ही सामाजिक दबाव और मानसिक पीड़ा से गुजर चुका है
वकील ने यह भी तर्क दिया कि किसी व्यक्ति के जीवन पर आधारित कंटेंट बनाने से पहले उसके परिवार की सहमति जरूरी होती है, खासकर तब जब मामला इतना संवेदनशील हो।
🎬 वेब सीरीज मेकर्स का पक्ष
दूसरी ओर, वेब सीरीज के निर्माताओं की तरफ से अदालत को बताया गया कि—
यह सीरीज काल्पनिक (fictional) है
किरदारों और घटनाओं को ड्रामैटिक रूप में दिखाया गया है
किसी वास्तविक व्यक्ति या परिवार को बदनाम करने का इरादा नहीं है
यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) के दायरे में आता है
निर्माताओं का कहना था कि भारत में कई वेब सीरीज और फिल्में वास्तविक घटनाओं से प्रेरित होकर बनाई जाती रही हैं, और केवल प्रेरणा लेने से किसी के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता।
🏛️ कोर्ट का रुख क्या रहा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें गंभीरता से सुनीं। कोर्ट ने फिलहाल वेब सीरीज की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अंतिम फैसला बाद में सुनाया जाएगा।
अदालत ने कहा कि इस स्तर पर रिलीज रोकना उचित नहीं होगा, लेकिन याचिकाकर्ता की आशंकाओं को पूरी तरह नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता।
🔍 क्यों अहम है यह मामला?
यह मामला केवल एक वेब सीरीज तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े कई बड़े सवाल भी सामने आते हैं—
क्या किसी अपराधी के जीवन पर बनी सीरीज उसके परिवार के अधिकारों को प्रभावित करती है?
क्या रियल क्राइम कंटेंट पर कोई स्पष्ट कानूनी सीमा होनी चाहिए?
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की जिम्मेदारी कहां तक है?
इन सवालों पर आने वाले समय में अदालत का अंतिम फैसला एक नज़ीर (precedent) बन सकता है।
📺 ‘UP 77’ को लेकर पहले से विवाद
‘UP 77’ रिलीज से पहले ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन चुकी है। कुछ लोग इसे सच्चाई दिखाने वाला कंटेंट बता रहे हैं, तो कुछ इसे अपराध का महिमामंडन मान रहे हैं। विकास दुबे का नाम पहले ही कानपुर के बिकरू कांड और उसके बाद हुए एनकाउंटर को लेकर देशभर में सुर्खियों में रहा है।
फिलहाल, दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद वेब सीरीज 25 दिसंबर को रिलीज होने के रास्ते पर कायम है, लेकिन अंतिम कानूनी फैसला अभी बाकी है। यह मामला आने वाले समय में ओटीटी कंटेंट और रियल क्राइम जॉनर के लिए दिशा तय कर सकता है।
The UP 77 web series controversy has drawn nationwide attention as the Delhi High Court refused to stay its release. Inspired by the life of gangster Vikas Dubey, the series raises important questions about real crime content, freedom of expression, and the legal rights of families affected by such portrayals. The case highlights growing legal scrutiny around OTT platforms and web series based on real-life criminal incidents in India.



















