Sunday, December 22, 2024

केन्द्रीय मंत्री अमित शाह से मुस्लिम धर्मगुरुओं का एक 16 लोगो का डेलिगेशन मिला, धर्मगुरु बोले-मदरसों में हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होना चाहिए!

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AIN NEWS 1: बता दें जमीयत उलेमा-ए-हिंद (M) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व में 16 मुस्लिम धर्म गुरुओं का एक डेलिगेशन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिला। इन मुस्लिम धर्म गुरुओं ने उन सभी भाजपा नेताओं की हेट स्पीच, इस्लामोफोबिया, सांप्रदायिक हिंसा और मॉब लिंचिंग जैसी सभी घटनाओं पर अमित शाह से ठोस कदम उठाने की अपनी मांग की।

उन्होने कहा ‘शिक्षा, सुरक्षा और प्रशिक्षण पर हम पूरा सहयोग करेंगे’ जिसपर मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कहा, की ‘मदरसों की व्यवस्था में हमें सरकारी हस्तक्षेप बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेगे। उनकी स्वतंत्रता संविधान में मिला हमारा एक मौलिक अधिकार है। हम इस पर कोई भी समझौता करने को बिलकुल तैयार नहीं हैं। लेकिन इसी के साथ छात्रों की सुरक्षा, उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण के संबंध में किए जाने वाले हर उपाय के लिए हम सरकार का साथ देने को तैयार हैं। उन्होने आगे कहा के दीनी मदरसों के बारे में असम के मुख्यमंत्री का बयान काफ़ी निंदनीय और दिल दुखाने वाला है। इससे देश मे ”इस्लामोफोबिया बढ़ रहा है’

मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कहा, ‘देश के अलग-अलग राज्यों में सड़कों पर जिस प्रकार बलवा मचाया जा रहा है, वह काफ़ी अफसोसजनक है। जिस धरती पर हमें विकास और एकता का ही प्रदर्शन करना चाहिए। उस धरती पर आज धार्मिक नारों, नफरती धमकियों और एक दूसरे पर हमलों के काफ़ी ज्यादा दृश्य देखने को मिल रहे हैं। देशभर में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के विरुद्ध नफरत और उकसावे की घटनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिससे देश को आर्थिक और व्यापारिक हानि के साथ हमारे देश की छवि पर भी प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होने कहा ”मुस्लिम अल्पसंख्यक को अलग-थलग करने के प्रयास नहीं होने चाहिए’

मुस्लिम धर्म गुरुओं ने ऐसे उपायों पर रोक लगाए जाने की भी मांग की। जो इस्लाम से शत्रुता पर ही आधारित है। नफरत फैलाने वाले तत्वों पर बिना किसी भी भेदभाव के कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट और उचित टिप्पणियों के बाद भी लापरवाही बरतने वाली एजेंसियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाए और उपद्रवियों को कठौर सजा मिलनी चाहिए।

विधि आयोग की सिफारिशों के अनुसार, हिंसा के लिए उकसाने वालों को भी विशेष रूप से दंडित करने के लिए एक अलग से कानून बनाया जाए। मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक-आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के प्रयासों पर भी रोक लगाई जाए।

घृणा फैलाने वालों पर होनी चाहिए FIR 

डेलिगेशन में शामिल मुस्लिम धर्म गुरुओं ने देश की सरकारों, जांच एजेंसियों और साइबर अपराध शाखाओं का भी ध्यान आकर्षित किया। कहा, वह किसी की औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना घृणा फैलाने वालों के खिलाफ स्वयं ही आपराधिक मामले दर्ज करें। आतंकवाद की रोकथाम की तरह कोई प्रभावी वॉचडॉग की भी व्यवस्था करें। जिससे ऐसी सामग्रियों को तत्काल हटाया जाए। ऐसे दलों, समूहों और पेजों की पहचान भी की जाए, जिनके द्वारा लगातार धार्मिक रूप से ऐसी भड़काऊ सामग्री प्रकाशित की जाती हैं और उन पर पूर्ण प्रतिबंध भी लगाया जाए।’इस्लामी मदरसे शिक्षा का अहम माध्यम’ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कहा, ‘इस्लामी मदरसे निर्धन और पिछड़े भारतीय मुसलमानों के लिए शिक्षा का एक सबसे महत्वपूर्ण माध्यम हैं। मदरसों से जुड़े उलेमा और छात्रों ने देश की स्वतंत्रता और निर्माण एवं विकास में काफ़ी अग्रणी भूमिका निभाई है। देश की संप्रभुता, सुरक्षा और युवाओं में देश की रक्षा और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत करने में उनकी एक बहुत अनुकरणीय भूमिका है। ये मदरसे भी भारत की संस्कृति का ही एक शानदार हिस्सा हैं।

मदरसों की व्यवस्था में हमें सरकारी हस्तक्षेप बिलकुल स्वीकार नहीं है,

उनकी स्वतंत्रता और स्वायत्तता संविधान में प्रदत्त हमारा एक मौलिक अधिकार है और हम इस पर कोई भी समझौता करने को बिलकुल तैयार नहीं हैं। लेकिन इसी के साथ छात्रों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण के संबंध में किए जाने वाले हर उपाय के लिए हम तैयार हैं। दीनी मदरसों के बारे में असम के मुख्यमंत्री का बयान भी काफ़ी निंदनीय और दिल दुखाने वाला है।’उन्होंने कहा, मौलाना कलीम सिद्दीकी, उमर गौतम और उनके सभी अन्य साथी लगभग 2 वर्षों से जेल में बंद हैं। उन पर धर्मांतरण का ही आरोप है। जो कानूनी प्रक्रिया अदालत में चल रही है वो अपना कार्य करेगी, परन्तु उनको जमानत न देना और लम्बे समय तक जेल में रखना, जबकि इससे कठोर और संगीन मुलजिमों को तो जमानत पर रिहा किया जा रहा है, यह न्याय से बिलकुल मेल नहीं खाते। हम आपसे अनुरोध करते है कि सरकार उनकी जमानत में सहायता प्रदान करे और बाधाओं को दूर करे।

इस मीटिंग में उठाए गए प्रमुख मुद्दे

1.रामनवमी के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा का मुद्दा।

2.नालंदा में मदरसे में आग लगाने का मामला।

3.राजस्थान के भरतपुर के दो युवकों की हत्या का मामला । इन युवकों की जली हुई बॉडी हरियाणा में एक कार में मिली थी।

4.सेम सेक्स मैरिज और यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा । हालांकि शाह ने इनपर कुछ नहीं कहा।

5.कर्नाटक में मुसलमानों का आरक्षण खत्म किए जाने का मामला ।

6.नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा। इस पर भविष्य में विस्तार से बैठक करने की बात कही गई है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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