AIN NEWS 1: दिल्ली चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अब केसेज की मौखिक मेंशनिंग को भी मंजूरी दे दी है। अब हर दिन वकील अपने महत्वपूर्ण मुकदमों की मौखिक मेंशनिंग भी करा सकेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस प्रकार मौखिक मेंशनिंग को मंजूरी देकर हम देश के नागरिकों को यह साफ़ साफ़ संदेश देना चाहते हैं कि यदि आपके साथ कोई भी अन्याय हो रहा है, अगर कोई आपका घर तोड़ रहा है या आपको कोई पुलिस अधिकारी गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार कर रहा है तो आपकी आवाज अनसुनी नहीं रह जाएगी।13 अप्रैल को ही सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के एक कार्यक्रम में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हर दिन सुबह चीफ जस्टिस की कोर्ट में करीब 100 मामले मेंशनिंग के लिए आते ही हैं। कई बार तो यह संख्या 120 तक भी पहुंच जाती हैं। धीरे-धीरे मैंने सीख लिया है कि मेंशनिंग से संबंधित मामलों को आधे घंटे से 40 मिनट के अंदर ही कैसे मैनेज किया जाए।
जाने जब सीजेआई से पूछा- समय बर्बाद नहीं कर रहे?
इस दौरान सीजेआई ने अपना एक वाकया भी सुनाया। उन्होंने कहा कि एक बार मुझसे किसी ने पूछा कि बतौर चीफ जस्टिस आप फर्स्ट हाफ में केसेज की मेशनिंग में ही अपना आधे घंटे से ज्यादा का वक्त देते हैं। तो क्या यह समय की बर्बादी नहीं है? लेकिन मैं इसको बिलकुल भी इस तरीके से नहीं देखता हूं। मैं बार मेंबर्स को पूरी तरह स्पष्ट मैसेज देना चाहता हूं कि यदि आपका कोई मामला बहुत ज्यादा अर्जेंट है तो उसे जल्द से जल्द ही लिस्ट किया जाएगा और सुनवाई भी होगी।
जाने क्या है यह केसेज की मेंशनिंग?
बता दें सुप्रीम कोर्ट में जब कोई भी मुकदमा दायर होने के बाद यह पहले लिस्टिंग सेक्शन में जाता है, जहां से इस पर सुनवाई की तारीख मिलती है। लिस्टिंग का मतलब ही है सुनवाई की डेट। कई बार केसेज की लिस्टिंग में काफ़ी वक्त लग जाता है, या उस पर बहुत लंबी डेट मिलती है, ऐसे में वकीलों के पास ये मेंशनिंग का विकल्प बचता है।यदि किसी याचिकाकर्ता को लगता है कि उसका केस बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है और उसपर पर तत्काल ही सुनवाई होनी चाहिए तो वह, अपनी इसकी अर्जी दे सकता है, जिसे ही मेंशनिंग कहते हैं। मेंशनिंग की अर्जी सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को ही दी जाती है। यदि वहां मंजूरी न मिले तब कही सीजेआई के सामने मेंशनिंग की अर्जी दे सकते हैं।
तो आखिर जाने क्या है ओरल मेंशनिंग?
सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील संजीव कुमार पांडे बताते हैं कि चीफ जस्टिस सुबह कोर्ट के शुरू होने के वक्त यानी 10.30 बजे सबसे पहले मेंशनिंग से जुड़ी अर्जियों पर ही विचार करते हैं। वह बताते हैं कि मेंशनिंग की अर्जी एक ख़ास प्रारूप में दी जाती है। वकील, व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर भी मेंशनिंग का अपना अनुरोध कर सकते हैं, जिसे ओरल मेंशनिंग कहते हैं।